सरकार ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए दो योजनाओं के लिए परिव्यय बढ़ाकर 6,190 करोड़ रुपये किया
राजेश राजेश अजय
- 19 Mar 2025, 09:16 PM
- Updated: 09:16 PM
नयी दिल्ली, 19 मार्च (भाषा) सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम और राष्ट्रीय गोकुल मिशन - जैसी दो योजनाओं को संशोधित किया। संशोधन के जरिये इन योजनाओं के तहत दूध उत्पादन, खरीद स्तर, प्रसंस्करण क्षमता, प्रयोगशाला परीक्षण सुविधाओं और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए परिव्यय को 2,000 करोड़ रुपये बढ़ाकर 6,190 करोड़ रुपये कर दिया गया।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और संशोधित राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) को मंजूरी दे दी है।
एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘संशोधित एनपीडीडी, एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना, को अतिरिक्त 1,000 करोड़ रुपये के साथ बढ़ाया गया है, जिससे 15वें वित्त आयोग चक्र (वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26) की अवधि के लिए कुल बजट 2,790 करोड़ रुपये हो गया है।’’
यह पहल डेयरी बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और विस्तार पर केंद्रित है, जिससे इस क्षेत्र की निरंतर वृद्धि और उत्पादकता सुनिश्चित होती है।
संशोधित एनपीडीडी- दूध खरीद, प्रसंस्करण क्षमता और बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करके डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देगा। इसका उद्देश्य किसानों को बाजारों तक बेहतर पहुंच पाने, मूल्य संवर्धन के माध्यम से बेहतर मूल्य निर्धारण सुनिश्चित करने और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता में सुधार करने में मदद करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम को मंजूरी मिलने से इस क्षेत्र में बदलाव आएगा, किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित होगा, रोजगार सृजन होगा और अन्य कई चीजें संभव होंगी।
मंत्रिमंडल ने पशुधन क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए संशोधित आरजीएम को भी मंजूरी दी।
बयान में कहा गया, ‘‘विकास कार्यक्रम योजना के केंद्रीय क्षेत्र के हिस्से के रूप में संशोधित आरजीएम का कार्यान्वयन 1,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त परिव्यय के साथ किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 तक 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान कुल परिव्यय 3,400 करोड़ रुपये का है।’’
आरजीएम के तहत, दो नई गतिविधियां जोड़ी गई हैं। पहला, कुल 15,000 बछियों वाली 30 आवास सुविधाओं के निर्माण के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों को बछिया पालन केंद्रों की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत के 35 प्रतिशत की एकमुश्त सहायता और दूसरा, किसानों को उच्च आनुवंशिक योग्यता (एचजीएम) आईवीएफ बछिया खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना ताकि किसान द्वारा दुग्ध संघों/वित्तीय संस्थानों/बैंकों से लिए गए ऋण पर तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान प्रदान किया जा सके।
इससे अधिक उत्पादन करने वाली नस्लों को व्यवस्थित रूप से विकसित करने में मदद मिलेगी।
एक अन्य पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) से संबंधित निर्णय से दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, देशी नस्लों में सुधार होगा और कई डेयरी किसानों को सशक्त बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह पशुधन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।’’
एनपीडीडी योजना में दो प्रमुख घटक शामिल हैं - पहला आवश्यक डेयरी अवसंरचना में सुधार के लिए समर्पित है, जैसे कि दूध ठंडा करने वाले संयंत्र, उन्नत दूध परीक्षण प्रयोगशालाएं और प्रमाणन प्रणाली की स्थापना करना।
यह नई ग्राम डेयरी सहकारी समितियों के गठन का भी समर्थन करता है और पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्रों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में दूध की खरीद और प्रसंस्करण को मजबूत करता है।
इसका दूसरा हिस्सा ‘सहकारिता के माध्यम से डेयरी (डीटीसी)’ के रूप में जाना जाता है। हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार जापानी सरकार और जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) के साथ सहयोग के माध्यम से डेयरी विकास को बढ़ावा देना जारी रखा जायेगा।
यह घटक नौ राज्यों (आंध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) में डेयरी सहकारी समितियों के सतत विकास, उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन अवसंरचना में सुधार पर केंद्रित है।
बयान में कहा गया, ‘‘एनपीडीडी के कार्यान्वयन से व्यापक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पड़ा है, जिससे 18.74 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं, 30,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां सृजित हुई हैं तथा प्रतिदिन अतिरिक्त 100.95 लाख लीटर दूध खरीद क्षमता में वृद्धि हुई है।’’
संशोधित एनपीडीडी से पूर्वोत्तर क्षेत्र में 10,000 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना, प्रसंस्करण, तथा समर्पित अनुदान सहायता के साथ दो दूध उत्पादक कंपनियों (एमपीसी) के गठन की उम्मीद है।
भाषा राजेश राजेश