अमेरिकी दूतावास की शिकायत पर बड़े पैमाने पर वीजा धोखाधड़ी का मामला दर्ज
पारुल नेत्रपाल
- 20 Mar 2025, 08:54 PM
- Updated: 08:54 PM
(सौम्या शुक्ला)
नयी दिल्ली, 20 मार्च (भाषा) दिल्ली पुलिस ने नयी दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में अमेरिकी दूतावास की शिकायत के बाद बड़े पैमाने पर वीजा धोखाधड़ी में शामिल पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के 30 से अधिक लोगों के एक गिरोह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी के मुताबिक, 27 फरवरी को अमेरिकी दूतावास की शिकायत के बाद दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया कि वीजा धोखाधड़ी से जुड़ी गतिविधियां मई और अगस्त 2024 के बीच हुईं।
इसमें कहा गया कि दूतावास ने अमेरिका सरकार को धोखा देने के लिए एजेंट और आवेदकों के बीच साजिश के 21 कथित मामले उजागर किए।
यह मामला ऐसे समय दर्ज किया गया जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली अमेरिका सरकार वीजा धोखाधड़ी और गैरकानूनी आव्रजन पर नकेल कस रही है।
अधिकारी के अनुसार, अमेरिकी दूतावास ने एजेंट और आवेदकों सहित 31 लोगों के खिलाफ आरोप लगाए हैं, जो वीजा हासिल करने के लिए बैंक स्टेटमेंट, शैक्षिक प्रमाणपत्र और रोजगार रिकॉर्ड जैसे दस्तावेजों में कथित तौर पर जालसाजी करने में शामिल थे।
प्राथमिकी में कहा गया, “एजेंट पर ऑनलाइन गैर-आप्रवासी वीजा आवेदन फॉर्म डीएस-160 में गलत जानकारी देने और आवेदकों को फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराने का संदेह है, ताकि वे गलत जानकारी, गलतबयानी और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत स्थित अमेरिकी दूतावास और अमेरिकी सरकार को धोखा देकर अमेरिकी वीजा हासिल कर सकें।”
इसमें कहा गया, “मई से अगस्त 2024 के बीच की अवधि में हमारे कार्यालय (अमेरिकी दूतावास) ने प्रासंगिक जांच की और अलग-अलग आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करने वाले व्यक्तियों की एक व्यापक सूची तैयार की, जिनके वीजा सलाहकारों, दस्तावेज उपलब्ध कराने वालों (शैक्षणिक प्रमाण पत्र, बैंक स्टेटमेंट और रोजगार प्रमाण पत्र), पासपोर्ट वितरण पते और शिक्षा सलाहकारों से जुड़े होने का संदेह है।”
प्राथमिकी के मुताबिक, जांच के दौरान दूतावास को पता चला कि कई वीजा एजेंट फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए आवेदकों से एक लाख से 15 लाख रुपये तक वसूल रहे थे।
अधिकारियों ने बताया कि अमेरिकी दूतावास ने प्राथमिकी में एक ऐसे मामले का जिक्र किया है, जिसमें एजेंट ने वीजा हासिल करने की प्रक्रिया में मदद के बदले आवेदक से 13 लाख रुपये की मांग की थी।
प्राथमिकी के अनुसार, “खुद को चमकौर सिंह बताने वाले एक व्यक्ति ने 20 अगस्त 2024 को नयी दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास में गैर-आप्रवासी वीजा के लिए आवेदन किया। वीजा आवेदन प्रक्रिया के तहत सिंह ने अपने ऑनलाइन वीजा आवेदन में दावा किया कि वह पंजाब स्थित एक कंपनी में फ्रंट डेस्क ऑपरेटर के तौर पर कार्यरत है।”
इसमें कहा गया, “हालांकि, 20 अगस्त 2024 को अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों के साथ निर्धारित साक्षात्कार के दौरान सिंह ने स्वीकार किया कि उसने कभी फ्रंट डेस्क ऑपरेटर के रूप में काम नहीं किया। सिंह ने कहा कि पंजाब के बटाला में एक आव्रजन कंपनी में काम करने वाले वीजा एजेंट ने सेवा अवधि में एक साल के अंतराल को छिपाने के लिए उसके वीजा आवेदन में गलत जानकारी दर्ज की।”
प्राथमिकी के मुताबिक, सिंह ने बताया कि कंपनी ने उसके और उसके पिता के नाम पर कथित तौर पर फर्जी बैंक दस्तावेज उपलब्ध कराए।
इसमें कहा गया, “सिंह ने बताया कि उसे इस खाते तक पहुंच या नियंत्रण हासिल नहीं था और एजेंट ने केवल उसके वीजा आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए यह खाता बनाया था। उसने कहा कि अगर वीजा जारी किया जाता है, तो उसके पिता को एजेंट को 13 लाख रुपये देने होंगे।”
प्राथमिकी के अनुसार, सिंह ने कहा कि कंपनी ने उसकी तरफ से अमेरिका के विश्वविद्यालय में वित्तीय दस्तावेज जमा किए थे और उसे नहीं पता कि उसे दाखिला दिलाने के लिए किसके वित्तीय दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।
पुलिस के अनुसार, शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318, 336 और 340 तथा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 66 (डी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इसने बताया कि गिरोह में शामिल अन्य लोगों की तलाश के लिए छापेमारी की जा रही है।
भाषा पारुल