मेघालय में पारंपरिक चिकित्सक टीबी उन्मूलन में निभा रहे हैं भूमिका
राजकुमार
- 22 Mar 2025, 05:46 PM
- Updated: 05:46 PM
(डेटलाइन में स्थान बदलते हुए)
(पायल बनर्जी)
शिलांग, 22 मार्च (भाषा) एक अनूठे प्रयास के तहत पारंपरिक चिकित्सक मेघालय में तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में स्थानीय उपचार और आधुनिक चिकित्सा के बीच एक सेतु के रूप में काम कर रहे हैं।
इस पूर्वोत्तर राज्य में लगभग 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, जहां सड़कों की व्यवस्था खराब है और स्वास्थ्य सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं।
ऐसे में ये चिकित्सक लंबे समय से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रथम संपर्क सेतु के रूप में काम कर रहे हैं। अब वे तपेदिक के लिए प्राथमिक जांच कर्मी के रूप में भी काम करते हैं।
मेघालय सरकार ने इस बीमारी की जांच, पहचान और उपचार में तेजी लाने के लिए पारंपरिक चिकित्सकों की मदद ली है। संभवतः यह पहला राज्य बन गया है, जिसने जमीनी स्तर पर तपेदिक उन्मूलन के लिए इस अभिनव दृष्टिकोण को अपनाया है।
लोगों के बीच विश्वास अर्जित कर चुके ये चिकित्सक संदिग्ध तपेदिक रोगियों की पहचान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचें, जहां ‘पोर्टेबल एक्स-रे’ मशीनों से उनकी टीबी संबंध जांच की जाती है और एनएएटी मशीनों से उनका परीक्षण किया जाता है।
तपेदिक संक्रमण के हर मामले पर इन पारंपरिक चिकित्सकों को राज्य सरकार 500 रुपये प्रोत्साहन राशि देती है।
री भोई जिले में पारंपरिक चिकित्सक एलिंगटन सिम ने कहा, ‘‘जब भी ग्रामीण बीमारी लेकर मेरे क्लिनिक में आते हैं, तो मैं मौखिक मूल्यांकन के माध्यम से संभावित टीबी मामलों का पता लगाने की कोशिश करता हूं।’’
उन्होंने कहा,‘‘हम उन्हें सीधे टीबी जांच के लिए जाने के लिए नहीं कहते हैं क्योंकि इस बीमारी से जुड़ा (सामाजिक) कलंक लोगों को इलाज करवाने से रोकता है। इसके बजाय, हम उन्हें निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर जाने के लिए कहते हैं।’’
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक रामकुमार एस ने कहा कि यह समझते हुए कि बहुत से लोग स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने से पहले पारंपरिक चिकित्सकों से उपचार कराते हैं, मेघालय ने तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में इन विश्वसनीय सामुदायिक हस्तियों को साथ लाने की पहल शुरू की है।
मेघालय में राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की सहायक कार्यक्रम अधिकारी एवं फेफेड़ा रोग चिकित्सक डॉ. अमिका जोन रिन्जा ने बताया कि राज्य में 3,500 से अधिक पारंपरिक चिकित्सकों में से 1,227 को पिछले वर्ष टीबी जांच के लिए प्रशिक्षित किया गया था।
भाषा
राजकुमार माधव
माधव