शीतयुद्ध के दौरान केजीबी में ब्रिटेन के सबसे विश्वस्त जासूस रहे ओलेग गोर्डिएव्स्की का निधन
राजकुमार पारुल
- 22 Mar 2025, 08:13 PM
- Updated: 08:13 PM
लंदन, 22 मार्च (एपी) चोरी-छिपे ब्रिटेन को गोपनीय सूचना प्रदान कर शीतयुद्ध की दिशा बदलने में मदद पहुंचाने वाले पूर्व सोवियत केजीबी अधिकारी ओलेग गोर्डिएव्स्की का निधन हो गया।
वह 86 साल के थे। उन्होंने इंगलैंड में चार मार्च को अंतिम सांस ली, जहां वह 1985 में देश छोड़ने के बाद से रह रहे थे।
इतिहासकार गोर्डिएव्स्की को उस दौर के सबसे महत्वपूर्ण जासूसों में से एक माना जाता था। 1980 के दशक में उनकी खुफिया जानकारी की वजह से तत्कालीन सोवियत संघ और पश्चिम के बीच परमाणु तनाव को बढ़ने से रोकने में मदद मिली थी।
साल 1938 में मॉस्को में जन्मे गोर्डिएव्स्की 1960 के दशक की शुरुआत में केजीबी में शामिल हुए थे। उन्होंने मॉस्को, कोपेनहेगन और लंदन में अपनी सेवाएं दीं, जहां वह केजीबी केंद्र प्रमुख के पद पर रहे।
गोर्डिएव्स्की उन सोवियत एजेंट में शामिल थे, जिनका 1968 में मॉस्को की सेना द्वारा ‘प्राग स्प्रिंग’ स्वतंत्रता आंदोलन को कुचल दिए जाने के बाद सोवियत संघ से मोहभंग हो गया था। ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआई6 ने 1970 के दशक की शुरुआत में उन्हें भर्ती कर लिया था।
‘प्राग स्प्रिंग’ 1968 में चेकोस्लोवाकिया में राजनीतिक मुक्तिकरण की अवधि थी।
वर्ष 1990 में प्रकाशित पुस्तक “केजीबी : द इनसाइड स्टोरी” के मुताबिक, गोर्डिएव्स्की को यह विश्वास हो चला था कि “एक पार्टी वाला कम्युनिस्ट राज्य अनिवार्य रूप से असहिष्णुता, अमानवीयता और स्वतंत्रता के विनाश की ओर ले जाता है।”
उन्होंने फैसला किया कि लोकतंत्र के लिए लड़ने का सबसे अच्छा तरीका “पश्चिम के लिए काम करना” है।
इस पुस्तक को गोर्डिएव्स्की और ब्रिटिश खुफिया इतिहासकार क्रिस्टोफर एंड्रयू ने मिलकर लिखा था।
गोर्डिएव्स्की ने शीत युद्ध के सबसे तनावपूर्ण वर्षों के दौरान एक दशक से अधिक समय तक ब्रिटिश खुफिया एजेंसी के लिए काम किया।
उन्होंने 1983 में ब्रिटेन और अमेरिका को आगाह किया कि सोवियत नेतृत्व पश्चिम की ओर से परमाणु हमले की आशंका को लेकर इतना चिंतित है कि वह पहले हमला करने पर विचार कर रहा है।
जर्मनी में उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के सैन्य अभ्यास के दौरान तनाव बढ़ने पर, गोर्डिएव्स्की ने सोवियत रूस को आश्वस्त करने में मदद की कि यह परमाणु हमले से पहले की कवायद नहीं है।
इसके शीघ्र बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने सोवियत संघ के साथ परमाणु तनाव को कम करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए।
साल 1985 में गोर्डिएव्स्की को परामर्श के लिए मॉस्को वापस बुलाया गया। उन्होंने इस डर-जो सही था-के बावजूद मॉस्को जाने का फैसला किया कि एक ‘डबल एजेंट’ के रूप में उनकी भूमिका उजागर हो चुकी है।
गोर्डिएव्स्की से पूछताछ की गई, लेकिन उन पर आरोप नहीं लगाए गए। ब्रिटेन ने उन्हें एक कार की डिक्की में सोवियत संघ से बाहर निकालने के लिए गुप्त अभियान चलाया।
शीत युद्ध के दौरान वह सबसे वरिष्ठ सोवियत जासूस थे, जिन्होंने देश छोड़ दिया।
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