सीमा शुल्क नियमों में संशोधन से आयातकों के लिए अनुपालन की लागत बढ़ेगी : जीटीआरआई
अजय अजय पाण्डेय
- 23 Mar 2025, 02:44 PM
- Updated: 02:44 PM
नयी दिल्ली, 23 मार्च (भाषा) मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत आयातित उत्पादों की जांच के लिए सीमा शुल्क नियमों में संशोधन से कंपनियों के लिए रियायती शुल्क पर आयात करना मुश्किल होगा और इससे उनकी अनुपालन की लागत भी बढ़ेगी। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने रविवार को यह बात कही।
शोध संस्थान ने हालांकि कहा कि इस कदम से एफटीए के दुरुपयोग पर अंकुश लगेगा, क्योंकि भारत ने कई ऐसे उदाहरण देखे हैं जहां चीन जैसे गैर-एफटीए देशों से आने वाले उत्पादों को तरजीही शुल्क लाभ का फायदा उठाने के लिए वियतनाम या सिंगापुर जैसे एफटीए सदस्य देशों के माध्यम से भेजा गया है।
वित्त मंत्रालय ने 18 मार्च को सीमा शुल्क (व्यापार समझौतों के तहत उत्पत्ति के नियमों का प्रशासन) नियम, 2020 (सीएआरओटीएआर) में संशोधन पेश करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी।
जीटीआरआई ने कहा कि संशोधन ‘उत्पत्ति प्रमाणपत्र’ (सीओओ) शब्द को सीएआरओटीएआर ढांचे के तहत विभिन्न नियमों और प्रपत्रों में एक व्यापक शब्द ‘उत्पत्ति प्रमाण’ से बदल देता है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘यह बदलाव आसियान आदि के साथ कई मौजूदा एफटीए के तहत ‘टकराव’ पैदा करता है, जहां निर्यातक देश द्वारा जारी किया गया मूल प्रमाणपत्र ही स्वीकार्य दस्तावेज है।’’ उन्होंने कहा कि इस कदम से कंपनियों के लिए रियायती शुल्क पर आयात करना कठिन हो सकता है।
श्रीवास्तव ने कहा कि अक्सर आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ) देशों के माध्यम से भेजे जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, एसी-फ्रिज और वाहन कलपुर्जों की कड़ी जांच का सामना करना पड़ सकता है।
जीटीआरआई ने सरकार से एक विस्तृत रूपरेखा प्रकाशित करने का आग्रह किया है, जिसमें बताया गया हो कि मूल प्रमाण के रूप में क्या स्वीकार्य है। साथ ही इसमें यह बताया जाना चाहिए अनुचित तरीके से तरजीही शुल्क दावों को नकारने के मामले का सामना करने वाले आयातकों के लिए निवारण तंत्र क्या है।
इसने कहा कि अब आयातकों को व्यापक सहायक दस्तावेजों तक पहुंच सुनिश्चित करनी होगी जो माल की उत्पत्ति को स्थापित करते हैं। यह हमेशा संभव नहीं होता है, खासकर जब निर्यातक कच्चे माल के चालान या उत्पादन लागत जैसे संवेदनशील व्यापार आंकड़ों को साझा नहीं करना चाहते हैं।
भाषा अजय अजय