ज्यादातर तेल-तिलहनों की कीमतों में गिरावट
राजेश राजेश अजय
- 24 Mar 2025, 06:42 PM
- Updated: 06:42 PM
नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) मलेशिया में आई गिरावट और वहां का निर्यात घटने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम प्रभावित हुए और सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम गिरावट के साथ बंद हुए। कमजोर दाम पर बिकवाली से बचने की प्रवृत्ति के बीच मंडियों में आवक कमजोर रहने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्ववत बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट रही जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में भी मामूली नुकसान है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सुबह बड़े प्लांट वालों ने सरसों के दाम 100 रुपये घटा दिया और बाद में इसमें 50 रुपये की वृद्धि की। इस तरह के प्रयास का कारण किसानों से सस्ते में सरसों खरीदना हो सकता है। कल बाजार बंद रहने की वजह से आज बाजार में आवक बढ़ी है। किसानों को जल्द ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकारी खरीद शुरू होने और बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है। मिल वालों द्वारा सरसों में घट-बढ़ का फायदा सिर्फ स्टॉकिस्टों को मिल रहा है। ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू करनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि विदेशों में आई गिरावट का असर देशी तेल-तिलहनों पर भी दिखा। आयातकों द्वारा बैंकों के कर्ज का भुगतान करने के दबाव की वजह से लागत से कम दाम पर आयात किये गये सोयाबीन डीगम को बेचने के कारण सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट देखी गई। वहीं मंडियों में सोयाबीन तिलहन की आवक आधी रह गई है। पहले से ही इसका हाजिर बाजार दाम एमएसपी से काफी नीचे है। इस परिस्थिति में सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
उन्होंने कहा कि जो हाल सोयाबीन किसानों का हो रहा है, उससे तो आशंका होती है कि कहीं इसका भी हाल सूरजमुखी जैसा न हो जाये जिसका उत्पादन आज बेहद नगण्य रह गया है और इस सूरजमुखी तेल के लिए देश लगभग आयात पर ही निर्भर हो चला है।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज की गिरावट और वहां निर्यात घटने के बीच यहां पाम, पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट रही। मलेशिया का निर्यात लगभग आधा घट गया है। अगले महीने से वहां उत्पादन बढ़ना शुरू हो जाता है, तो ऐसे में अधिक उत्पादन का भी दबाव होगा, जो कीमतों में नरमी रहने का एक कारण हो सकता है।
उन्होंने कहा कि विदेशी तेलों की गिरावट के असर से बिनौला अछूता नहीं है और इसके दाम भी गिरावट दर्शाते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली का थोक हाजिर दाम एमएसपी से 14-15 प्रतिशत नीचे है। कम दाम पर बिकवाली से बचने की वजह से इसकी आवक भी कमजोर है जिस कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।
उन्होंने कहा कि बेशक थोक दाम टूटे हुए हैं पर खुदरा बाजार का जायजा लें तो इसी मूंगफली तेल का दाम वहां आसमान छू रहा है। सरकार की ओर से इस विरोधाभास को दूर करने की आवश्यकता है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,025-6,125 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,725-6,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,315-2,415 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,315-2,440 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,180-4,230 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,880-3,930 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश