उच्चतम न्यायालय ने आईआईटी दिल्ली में विद्यार्थियों की आत्महत्या की जांच का दिया आदेश
राजकुमार रंजन
- 24 Mar 2025, 08:08 PM
- Updated: 08:08 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों की आत्महत्या की चिंताजनक प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह दिल्ली के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आईआईटी-दिल्ली) में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के दो छात्रों की आत्महत्या के मामले में प्राथमिकी दर्ज करे और उसकी जांच करे।
न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने उपायुक्त (दक्षिण-पश्चिम जिला) को प्राथमिकी दर्ज करने और सहायक पुलिस आयुक्त रैंक के अधिकारी को जांच के लिए नियुक्त करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘ हमें इस विषय में और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि किसी भी अपराध की जांच पुलिस के अधिकार क्षेत्र में है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि विद्यार्थियों की सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हर शिक्षण संस्थान के प्रशासन के कंधों पर है।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ इसलिए, परिसर में आत्महत्या जैसी किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की स्थिति में, उचित प्रशासन के पास तुरंत प्राथमिकी दर्ज कराना उसका स्पष्ट कर्तव्य बन जाता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ऐसी कार्रवाई न केवल कानूनी बाध्यता है, बल्कि पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने के लिए नैतिक अनिवार्यता भी है। इसके साथ ही, पुलिस अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे बिना किसी देरी या इनकार के प्राथमिकी दर्ज कर तत्परता और जिम्मेदारी के साथ काम करें।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शिक्षण संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा इन दायित्वों का सम्यक निर्वहन ऐसी त्रासदियों की पुनरावृति रोकने तथा सामाजिक संस्थानों में विश्वास बनाये रखने के लिए जरूरी है।
शीर्ष अदालत ने विद्यार्थियों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का समाधान करने और उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्याओं को रोकने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यबल के गठन का निर्देश दिया।
शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट इस बल का नेतृत्व करेंगे।
शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘हम सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को निर्देश देते हैं कि वे अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी नोडल अधिकारी के रूप में नामित करें....।’’
यह निर्णय दो दिवंगत विद्यार्थियों के अभिभावकों की अपील पर आया है। इन अभिभावकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी जिसमें मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार कर दिया गया था।
जुलाई 2023 में बीटेक छात्र आयुष आशना अपने छात्रावास के कमरे में फांसी पर लटके पाए गए थे। उसके बाद एक सितंबर 2023 को बीटेक छात्र और उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के निवासी अनिल कुमार (21) संस्थान के छात्रावास के कमरे में मृत पाए गए। कुमार ने 2019 में आईआईटी में प्रवेश लिया था।
शिकायतों में उनकी मौतों को आत्महत्या नहीं बल्कि साजिश के परिणामस्वरूप हत्या बताया गया था और आईआईटी के शिक्षकों और कर्मचारियों द्वारा जातिगत भेदभाव किये जाने का भी आरोप लगाया गया था।
भाषा राजकुमार