बजट बनाने में पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक वर्गों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था: सपा सांसद
सुभाष अविनाश
- 24 Mar 2025, 09:53 PM
- Updated: 09:53 PM
नयी दिल्ली, 24 मार्च (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) के एक सांसद ने सोमवार को लोकसभा में आरोप लगाया कि यदि भाजपा नीत केंद्र सरकार का लक्ष्य ‘सबका साथ, विकास करना’ होता, तो यह बजट में देश के सभी 543 निर्वाचन क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विकास का एजेंडा प्रस्तुत करती।
सपा सदस्य नीरज मौर्य ने वित्त विधेयक, 2025 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार बजट में विकास का ऐसा एजेंडा लाती, जो गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को भी पसंद आता, लेकिन यह भी एक ‘जुमला’ साबित हो रहा है।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि बजट बनाने में ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग के लोगों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘इस सरकार का लक्ष्य अगर ‘सबका साथ, सबका विकास’ करना होता तो मौजूदा बजट में देश के अंदर 543 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों को ध्यान में रखकर विकास का ऐसा एजेंडा पेश किया गया होता कि गरीब और कमजोर भी समझता कि सबका विकास हो रहा। लेकिन यह जुमला साबित हो रहा।’’
शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने बजट का विरोध करते हुए कहा कि पछले 10 बजट में पंजाब का एक बार भी जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पंजाब भारत के नक्शे में है ही नहीं।’’ उन्होंने कहा कि इस बजट का एक बड़ा हिस्सा बिहार को मिला लेकिन पंजाब पर ध्यान नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि साइकिल उद्योग पर इस बजट में आयात शुल्क 35 प्रतिशत से घटा कर 20 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे चीन और ताईवान से आयात के कारण देश के साइकिल उद्योग को खतरा पैदा हो गया है।
शिअद सदस्य ने एमएसपी का मुद्दा उठाते हुए कहा, ‘‘इस बजट में एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का एक जगह भी जिक्र नहीं किया गया है। हमारे किसान पिछले पांच साल से आंदोलन कर रहे हैं, डंडे खा रहे हैं और जेलों में जा रहे हैं। लेकिन एमएसपी का वादा किये जाने के बावजूद इस पूरे बजट में उसका जिक्र तक नहीं है। आपने वादा किया था, आप उससे भी मुकर गए।’’
कांग्रेस के हिबी ईडेन ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति खस्ताहाल है। उन्होंने कहा कि अधिक जीडीपी अधिक रोजगार सृजन में तब्दील नहीं हो रही।
निर्दलीय सदस्य विशालदादा प्रकाशबापू पाटिल ने आम आदमी की दिनचर्या में सुबह टूथपेस्ट से लेकर रात के भोजन तक, उपयोग की जाने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी लगे होने का जिक्र किया।
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चंद्रशेखर ने कहा कि निजीकरण के कारण आरक्षित वर्गों की नौकरियां घट रही है। उन्होंने कृषि उपकरणों पर जीएसटी में 100 प्रतिशत छूट देने की मांग की।
उन्होंने उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में मानव तस्करी के संगठित गिरोह के सक्रिय रहने का दावा करते हुए कि सोनभद्र से अन्य राज्यों में ‘बेटियों को बेचा’ जा रहा। उन्होंने एक खबर का हवाला देते हुए राजस्थान में ‘लीज पर बेटियां बेचे जाने’ का भी उल्लेख किया।
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) सदस्य एन. के. प्रेमचंद्रन ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि प्रति व्यक्ति आय नहीं बढ़ रही, जिससे देश में असमानता बढ़ रही है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि आयात शुल्क मुद्दे पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया घोषणा के बाद, भारतीय अर्थव्यवस्था व्यापार-युद्ध का मुकाबला कैसे करेगी।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने ‘स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी’ जैसी बीमारियों की दवा पर आयात शुल्क हटाने और पीड़ितों को निशुल्क उपलब्ध कराने की मांग की।
निर्दलीय सदस्य राजेश रंजन ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के तहत किसानों को 6,000 रुपये मिलते हैं और ये राशि उन लोगों को मिलती है जिनके पास दो एकड़ जमीन है लेकिन इसका कई गुना जीएसटी के रूप में किसानों से ले लिया जाता है।
तृणमूल कांग्रेस की प्रतिमा मंडल ने कहा कि देश में मध्यम वर्ग की स्थिति दयनीय है और विकसित भारत 2047 की शुरूआत रोजगारविहीन संवृद्धि के साथ हुई है।
भारत आदिवासी पार्टी के राज कुमार रोत ने कहा कि जिस तरह से जीएसटी लागू किया जा रहा है, उसके परिणामस्वरूप महिलाओं का मंगलसूत्र तक छिन जाएगा।
निर्दलीय सदस्य उमेशभाई बाबूभाई पटेल ने अपने निर्वाचन क्षेत्र दमन और दीव का हवाला देते हुए कहा कि वहां भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है, प्रशासक नयी परियोजनाएं लाते हैं और वे निजी लोगों को सौंप दिये जाते हैं।
उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के पिछले सात साल के विकास कार्य का लागत अंकेक्षण कराने की भी मांग की।
नेशनल कांफ्रेंस के आगा सैयर रुहुल्ला मेहदी ने कहा कि ईरान से आयातित सेब पर आयात शुल्क नहीं लगाये जाने से यह भारतीय बाजारों में सस्ते दामों पर बिक रहा है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘कश्मीर का सेब क्या आपका नहीं है।’’
भाषा सुभाष