भूकंप: म्यांमा में हजारों के मारे जाने की आशंका, यूएसएआईडी बंद होने से बढ़ सकती हैं मौतें
प्रीति नरेश
- 31 Mar 2025, 05:57 PM
- Updated: 05:57 PM
(एडम सिम्पसन, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया)
सिडनी, 31 मार्च (द कन्वरसेशन) म्यांमा में एक दशक के राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के बाद 2021 की शुरुआत में यह लगने लगा था कि देश अंततः दशकों के सैन्य शासन के प्रभाव से बाहर निकल रहा है, लेकिन उसी साल सेना ने फरवरी में तख्तापलट कर आंग सान सू की की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को हटाकर फिर से सत्ता हासिल कर ली।
म्यांमा के लंबे समय से परेशान लोगों की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब देश में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया। भूकंप का केंद्र देश के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के ठीक बाहर था।
भूकंप के केंद्र से 1,000 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए और यहां भी भारी क्षति हुई।
म्यांमा में आए भूकंप से हुए नुकसान की जानकारी बहुत बाद में और धीरे-धीरे सामने आई है क्योंकि सैन्य शासन ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, सिग्नल और एक्स जैसे सोशल मीडिया और संचार एप्स पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
समाचार लिखे जाने तक भूकंप के कारण मरने वालों की संख्या 1,000 से अधिक हो चुकी थी।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि म्यांमा में आए भूकंप में 10,000 से अधिक लोगों की मौत हो सकती है और आर्थिक नुकसान संभवतः देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से भी अधिक हो सकता है।
म्यांमा के सैन्य शासन के नेता मिन आंग ह्लाइंग ने तुरंत अंतरराष्ट्रीय सहायता के लिए आह्वान किया।
म्यांमा के सैन्य शासन का देश के केवल 21% हिस्से पर ही पूर्ण नियंत्रण है, जबकि शेष भाग जातीय सशस्त्र समूहों और प्रतिरोधी सेनानियों के कब्जे में है। इससे यह पता चलता है कि भूकंप से बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों तक अंतरराष्ट्रीय सहायता पहुंच पाना बहुत मुश्किल है।
म्यांमा में इन परेशानियों को और बढ़ाते हुए ट्रंप प्रशासन ने ‘यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (यूएसएआईडी) के 90 से अधिक विदेशी सहायता अनुबंधों को समाप्त कर दिया है और दुनिया भर में कुल 60 अरब डॉलर की अमेरिकी सहायता पर भी रोक लगा दी है। इससे सबसे ज्यादा जरूरतमंद क्षेत्रों का निर्धारण करना तथा जमीनी स्तर पर सहायता वितरित करना और भी अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
म्यांमा में प्राकृतिक आपदाएं
म्यांमा राजनीतिक उथल-पुथल के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझता रहा है। देश में पिछले साल सितंबर में आए तूफान यागी के कारण आई बाढ़ में कम से कम 430 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं, 2023 में आए चक्रवात मोचा के कारण 460 रोहिंग्या मारे गए थे। म्यांमा में 2008 में आए चक्रवात नरगिस के कारण कम से कम 140,000 लोग मारे गए थे। इस दौरान देश के सैन्य शासन ने अंतरराष्ट्रीय सहायता का विरोध किया, जिसके परिणामस्वरूप संभवतः कई अनावश्यक मौतें हुईं। उस समय म्यांमा में कोई स्वतंत्र मीडिया नहीं था और यह पता लगाना लगभग असंभव था कि वास्तविक स्थिति क्या।
विदेशी सहायता से समझौता किया गया
म्यांमा के सैन्य शासन के प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों की तुलना में अंतरराष्ट्रीय मदद मांगने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लिए गए फैसलों से यह सुनिश्चित हो गया है कि कोई भी सहायता दो महीने पहले की तुलना में बहुत कम प्रभावी होगी।
म्यांमा में शुक्रवार को जिस दिन भूकंप आया था, उसी दिन ट्रंप प्रशासन ने संसद को बताया था कि यूएसएआईडी में शेष बची लगभग सभी नौकरियों को खत्म कर एजेंसी को बंद कर दिया जाएगा, जिससे यूएसएआईडी के दुनिया भर में जारी सभी सहायता अनुबंध समाप्त हो जाएंगे।
‘रिफ्यूजीज इंटरनेशनल’ के अध्यक्ष और यूएसएआईडी के पूर्व अधिकारी जेरेमी के. ने ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को ‘‘दुनिया में दशकों से चले आ रहे अमेरिकी नेतृत्व का पूर्ण परित्याग’’ करार दिया था।
यूएसएआईडी ने साल 2024 में म्यांमा में 240 मिलियन अमेरिकी डॉलर (380 मिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर) की सहायता दी थी, लेकिन ट्रंप के जनवरी में सत्ता संभाल लेने के बाद से यूएसएआईडी के कार्यक्रमों की संख्या 18 से घटकर मात्र तीन रह गई है।
अब क्या होगा?
भूकंप से एक दिन पहले मिन आंग ह्लाइंग ने घोषणा की थी कि म्यांमा में दिसंबर में राष्ट्रीय चुनाव कराए जाएंगे, जबकि मानवाधिकार समूह पहले से ही इस चुनाव को ‘‘दिखावा’’ कह रहा है।
देश में सैन्य शासन या गृहयुद्ध जारी रहने के दौरान किसी भी तरह से निष्पक्ष चुनाव कराना संभव नहीं है।
पिछले चार दशकों में म्यांमा के मतदाताओं ने हर स्वतंत्र या निष्पक्ष चुनाव में सेना समर्थित दलों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उदाहरण के लिए, देश में साल 2020 में हुए चुनाव में आंग सान सू की के नेतृत्व वाली नेशनल लीग ऑफ डेमोक्रेसी (एनएलडी) ने जीत हासिल की थी।
दुनिया को हालांकि मिन आंग ह्लाइंग द्वारा मांगी गई अंतरराष्ट्रीय सहायता पर तत्काल प्रतिक्रिया देनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि अतीत को भुला दिया जाएगा। म्यांमा की सेना द्वारा साल 2021 में किए गए तख्तापलट के कारण हजारों निर्दोष लोगों की जान चली गई थी।
म्यांमा में यदि एनएलडी की सरकार होती तो देश भूकंप के परिणामों से निपटने के लिए कहीं अधिक तैयार होता। लेकिन एक बार फिर म्यांमा में सैन्य शासन होने और ट्रंप द्वारा यूएसएआईडी को बंद कर दिए जाने से निस्संदेह अधिक मौतें हो सकती हैं।
(द कन्वरसेशन)
प्रीति