तृणमूल कांग्रेस के युवा नेता ने ‘लड़ाई’ के दौरान चुप रहने के लिए वरिष्ठों की आलोचना की
आशीष सुरेश
- 31 Mar 2025, 10:14 PM
- Updated: 10:14 PM
कोलकाता, 31 मार्च (भाषा) तृणमूल कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रभारी देबांग्शु भट्टाचार्य ने सोमवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के एक वर्ग की आलोचना करते हुए उन पर ‘लड़ाई’ के दौरान चुप्पी साधने का आरोप लगाया।
भट्टाचार्य ने वरिष्ठ नेताओं पर तीखे प्रहार करते हुए उन पर केवल अभिनंदन समारोहों में भाग लेने, चाटुकारों से घिरे रहने तथा सड़कों पर न उतरने का भी आरोप लगाया।
हालांकि, तृणमूल के वरिष्ठ नेताओं ने उनकी टिप्पणियों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या वाम दलों द्वारा किए गए प्रत्येक ‘‘छिटपुट विरोध’’ के लिए अलग-अलग रैलियां आयोजित करने की जरूरत नहीं है।
फेसबुक पर पोस्ट में भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लंदन के केलॉग कॉलेज में भाषण के दौरान रोका गया, शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से यादवपुर विश्वविद्यालय में धक्का-मुक्की की गई और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी को केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा परेशान किया गया।
उन्होंने दावा किया कि नेताओं का एक वर्ग ‘‘जो या तो निर्वाचित प्रतिनिधि हैं या पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर हैं, वे घर के अंदर ही रहे और केवल अभिनंदन कार्यक्रमों के दौरान ही फूलों के गुलदस्ते लिये और मंच पर नजर आए।’’
भट्टाचार्य को पिछले लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी उन नेताओं के कठिन समय में उनके साथ खड़ी रही, लेकिन वे ‘‘लड़ाई’’ के दौरान सोये हुए पाए गए।
तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता भट्टाचार्य ने सवाल किया, ‘‘जब हमारे नेता को अपमान का सामना करना पड़ रहा है, तो आपको विरोध में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए निर्देश का इंतजार क्यों करना चाहिए? अगर आप इस स्थिति में खुद विरोध रैली निकालते हैं, तो क्या आपको पार्टी से निकाल दिया जाएगा?’’
भट्टाचार्य ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘‘चापलूसों की संगत में पार्टी कार्यालय में बैठने और नालियों एवं सड़कों के उद्घाटन की अपनी तस्वीरों से सोशल मीडिया पेज को भरने के बजाय, इन नेताओं को हमारी पार्टी और प्रमुख के खिलाफ झूठे और विपक्ष के जहरीले प्रचार का मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना चाहिए।’’
युवा नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने संवाददाताओं से कहा कि एसएफआई-डीवाईएफआई के छिटपुट सदस्यों के किसी भी प्रदर्शन का कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘बंगाल के लोग वामपंथियों या भाजपा के बहकावे में नहीं आएंगे। इन कुंठित तत्वों की छिटपुट गतिविधियों के खिलाफ अलग से विरोध रैलियां आयोजित करने की कोई जरूरत नहीं है। हमारी मुख्यमंत्री ने खुद उन लोगों को खदेड़ दिया जिन्होंने उनके संबोधन (लंदन में) में खलल डालने की कोशिश की थी।’’
तृणमूल के राज्य महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘देबांग्शु ने संगठन के भीतर कुछ लोगों की प्रतिक्रिया पर अपना असंतोष व्यक्त किया है और कुछ टिप्पणियां पोस्ट की हैं।’’
भट्टाचार्य ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पार्टी से प्यार करने वाले हर व्यक्ति को उन ताकतों द्वारा फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का सक्रिय रूप से मुकाबला करना चाहिए जो राज्य को अस्थिर करना चाहते हैं और हमारे नेता को शर्मिंदा करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव में केवल आठ महीने का समय बचा है, इसलिए उन्हें (वरिष्ठ नेताओं को) पार्टी नेतृत्व द्वारा घोषित कार्यक्रमों का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने हिसाब से काम करना चाहिए।’’
भाषा आशीष