पीएचडी में दाखिला नहीं मिलने को लेकर दलित छात्र बीएचयू के बाहर कर रहा प्रदर्शन
सं जफर खारी
- 04 Apr 2025, 04:37 PM
- Updated: 04:37 PM
वाराणसी, चार अप्रैल (भाषा) बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पीएचडी में दाखिला नहीं मिलने को लेकर एक दलित छात्र 14 दिनों से कुलपति के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहा है।
छात्र शिवम सोनकर ने दावा किया कि बीएचयू में ‘डिपार्टमेंट ऑफ पीस एंड कॉन्फलिक्ट’ ने पीएचडी की सात सीट घोषित की थीं जिनमें से चार ‘जूनियर रिसर्च फेलोशिप’ (जेआरएफ) उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं और तीन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से भरी जानी थीं।
सोनकर ने कहा कि उन्होंने प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले के लिए आवेदन किया और दूसरा स्थान प्राप्त किया। हालांकि, प्रवेश परीक्षा श्रेणी में अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए कोई आरक्षित सीट नहीं थी और तीन उपलब्ध सीटें सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) उम्मीदवारों को आवंटित कर दी गईं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘इसके अतिरिक्त, विभाग जेआरएफ श्रेणी के तहत चार में से तीन सीट भरने में विफल रहा।’’
सोनकर ने तर्क दिया कि विश्वविद्यालय के पास अन्य श्रेणियों के उम्मीदवारों को खाली सीट आवंटित करने का विवेकाधिकार था, लेकिन उनके मामले में ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने परिणाम घोषित होने के एक दिन बाद 21 मार्च को धरना प्रदर्शन शुरू किया।
सोनकर ने बताया कि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर संजय कुमार ने तीन अप्रैल को उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके दाखिला अनुरोध पर पुनर्विचार किया जाएगा।
हालांकि, सोनकर ने कहा कि जब तक विश्वविद्यालय उन्हें प्रवेश नहीं देता, तब तक वे अपना विरोध-प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे।
इसकी प्रतिक्रिया में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि सोनकर ने शोध प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन किया था, जिसमें केवल दो सीटें उपलब्ध थीं जिनमें एक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार के लिए और एक ओबीसी उम्मीदवार के लिए थी और दोनों ही भर गईं।
बयान में कहा गया, ‘‘चूंकि वह दूसरे स्थान पर थे, इसलिए उन्हें प्रवेश नहीं मिल सका।’’
प्रशासन ने कहा कि सोनकर दाखिले के लिए तीन खाली जेआरएफ वाली सीटों को नियमित प्रवेश परीक्षा वाली सीटों में बदलने की मांग कर रहे हैं।
इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि, पीएचडी नियमों के अनुसार इस तरह के परिवर्तन की अनुमति नहीं है और सोनकर की रैंक के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सका।’’
भाषा सं जफर