वक्फ विधेयक पर विपक्ष अदालत जाने के लिए स्वतंत्र, लेकिन अल्पसंख्यकों को भड़काये नहीं: भाजपा
जितेंद्र पवनेश
- 04 Apr 2025, 06:45 PM
- Updated: 06:45 PM
नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि विपक्ष चाहे तो संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती दे सकता है, लेकिन उसे इस मुद्दे पर अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को भड़काने और तुष्टीकरण की ‘तुच्छ राजनीति’ करने से बचना चाहिए।
भाजपा की यह टिप्पणी कांग्रेस के उस बयान के बाद आई जिसमें उसने कहा कि वह संसद में पारित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 की संवैधानिकता को ‘बहुत जल्द’ उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा था कि वह संविधान में निहित सिद्धांतों, प्रावधानों और प्रथाओं पर मोदी सरकार के ‘हमलों’ का विरोध करना जारी रखेगा।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, “कांग्रेस के कुछ कानूनी विशेषज्ञ बार-बार कह रहे हैं कि यह (विधेयक) असंवैधानिक है और वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। उन्हें अदालत जाने दीजिए। उन्हें कोई नहीं रोक रहा है।”
प्रसाद ने कहा, “वे (कांग्रेस) तीन तलाक के मुद्दे पर अदालत गए थे। उन्होंने राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को रोकने की भी कोशिश की। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने को भी असंवैधानिक बताया।”
भाजपा नेता ने कहा कि वक्फ विधेयक ‘पूरी तरह से संवैधानिक’ है।
उन्होंने कहा कि संविधान में यह प्रावधान है कि सरकार महिलाओं और पिछड़े समाज की प्रगति के लिए कानून बना सकती है।
प्रसाद ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य महिलाओं सहित मुसलमानों का कल्याण सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा, “वोट बैंक की राजनीति के लिए वे (कांग्रेस) जो शरारत करते हैं, उसे देखते हुए देश उनकी बात नहीं सुनेगा।”
भाजपा के राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा ने कहा कि विपक्षी दलों का यह कर्तव्य है कि वे विधेयक को उसी रूप में स्वीकार करें, जिस रूप में इसे संसद ने पारित किया है और इस मुद्दे पर अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों को ‘उकसाने’ से बचें।
उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यह विपक्ष पर निर्भर करता है कि वह इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय जाना चाहता है या सड़कों पर उतरना चाहता है।
शर्मा ने कहा, “विपक्ष को तुच्छ राजनीति से बचना चाहिए।”
भाषा जितेंद्र