उमर अब्दुल्ला सरकार ने नई दिल्ली के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है: महबूबा मुफ्ती
जितेंद्र पवनेश
- 04 Apr 2025, 09:46 PM
- Updated: 09:46 PM
श्रीनगर, चार अप्रैल (भाषा) पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ सरकार जरूरी मुद्दों पर रुख अपनाने के बजाय इस बात पर ध्यान दे रही है कि सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारियों का तबादला करने का अधिकार किसके पास है।
मुफ्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार पर नई दिल्ली के सामने ‘आत्मसमर्पण’ करने का भी आरोप लगाया।
मुफ्ती ने कहा, “लोगों ने सोचा था कि जब नई सरकार आएगी, तो वह उनके अधिकारों की रक्षा करेगी।” मुफ्ती ने यहां संवाददाताओं से कहा, “दुर्भाग्य से छह महीने हो गए हैं, लेकिन सरकार ने जेलों में युवाओं की दुर्दशा, हमारे कर्मचारियों की बर्खास्तगी, दिहाड़ी मजदूरों के मुद्दों या बेरोजगारी के बारे में बात नहीं की। सरकार ने हर चीज में कायरता दिखाई है।”
पीडीपी अध्यक्ष ने केंद्र के साथ टकराव नहीं चाहने की अब्दुल्ला की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि नेकां सरकार उन मुद्दों के बारे में बात करने से भी ‘डरती’ है, जिनके लिए लोगों ने उन्हें सत्ता में लाने के लिए चुना था।
उन्होंने कहा, “जब वे (नेकां सत्ता में) आए, तो उन्होंने कहा कि वे केंद्र सरकार के साथ टकराव नहीं चाहते हैं। कोई भी दिल्ली के साथ टकराव नहीं चाहता। लेकिन आप पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं। आप उन मुद्दों पर बात करने से भी डरते हैं, जिनके लिए लोगों ने आपको चुना था।”
मुफ्ती ने कहा कि जब मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले विभाग के कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया तो उन्होंने कुछ नहीं कहा।
उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा हाल ही में किए गए तबादलों की पृष्ठभूमि में नेशनल कॉन्फ्रेंस और उसके सहयोगी दलों के विधायकों की बैठक का हवाला देते हुए कहा, “लेकिन आज पटवारियों (राजस्व अधिकारियों) के तबादले के लिए एक पार्टी (नेकां) और उसके सहयोगी दलों के विधायक एकत्र हुए।”
मुफ्ती ने कहा, “क्या जम्मू-कश्मीर के लोगों ने इन मुद्दों के लिए इस पार्टी (नेकां) को चुना था? बड़ा मुद्दा क्या है? पटवारियों का तबादला? या यह कि हमारे युवा जेलों में सड़ रहे हैं? या यह कि हर दिन छापेमारी हो रही है? या यह कि स्थिति सुधरने के बावजूद जामिया मस्जिद बंद है? हम वास्तविक समस्याओं के बारे में बात नहीं करते हैं, बल्कि इस बारे में बात करते हैं कि पटवारियों का तबादला कौन करेगा? ग्राम स्तर के कर्मचारियों का तबादला कौन करेगा? मुझे लगता है कि यह बहुत बुरा है।”
भाषा जितेंद्र