जम्मू कश्मीर तबादला विवाद: सत्तारूढ़ विधायकों ने जनादेश का सम्मान करने का आह्वान किया
प्रीति पवनेश
- 04 Apr 2025, 10:38 PM
- Updated: 10:38 PM
(तस्वीरों सहित)
श्रीनगर, चार अप्रैल (भाषा) जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों का तबादला किए जाने को लेकर राजभवन के साथ मतभेदों के बीच सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधायकों ने सभी को जनादेश का सम्मान करने का शुक्रवार को आह्वान किया और कहा कि ‘‘हमारी चुप्पी’’ को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
नेकां के मुख्य प्रवक्ता और जदीबल के विधायक तनवीर सादिक ने सत्तारूढ़ सहयोगी दलों की आपातकालीन विधायक दल की बैठक के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम बार-बार यही कह रहे हैं और यही हमारी अंतिम विनती है कि हमें मजबूर मत करो।’’
विधायक दल की बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें संसद द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक पारित किये जाने की निंदा करना और दूसरा जनादेश का सम्मान करने का आह्वान करने वाला प्रस्ताव शामिल है।
सत्तारूढ़ नेकां और उसके गठबंधन सहयोगियों ने यह बैठक ऐसे समय में की है जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा (जेकेएएस) के 48 अधिकारियों के स्थानांतरण के मंगलवार को आदेश दिए थे।
अब्दुल्ला सरकार का मानना है कि उपराज्यपाल के इस निर्देश ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत कानूनी और प्रशासनिक ढांचे का उल्लंघन किया है।
नेकां के प्रवक्ता सादिक ने पार्टी के विधायकों की यहां करीब दो घंटे तक हुई आपात बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में हुए चुनावों में उत्साहपूर्ण मतदान की देश के शीर्ष नेतृत्व ने सराहना की है और अब यदि कोई इसे नकारने या इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहा है तो वह लोगों के जनादेश का अनादर कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन का दृढ़ता से यही मानना है कि लोगों के जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिए और ‘‘हमारा समन्वय चाहे वह दिल्ली के साथ हो या उपराज्यपाल प्रशासन के साथ, केवल लोगों की समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से है।’’
सादिक ने कहा, ‘‘हमारे समन्वय या हमारी चुप्पी को हमारी कमजोरी नहीं समझना चाहिए।’’
इस बीच, उपराज्यपाल सिन्हा ने अधिकारियों के स्थानांतरण के अपने आदेशों का बचाव करते हुए दिल्ली में कार्यक्रम में कहा कि उन्होंने अपनी ‘‘सीमाओं’’ के भीतर काम किया है।
उन्होंने समाचार चैनल ‘न्यूज18’ के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 संसद द्वारा पारित किया गया था। मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि मैंने इस अधिनियम के बाहर जाकर कुछ भी नहीं किया है। मैं अपने अधिकार क्षेत्र में ही रहता हूं और कभी भी उससे बाहर कुछ नहीं करूंगा। मैं अपनी सीमाएं जानता हूं और कभी भी उन सीमाओं का अतिक्रमण नहीं करूंगा।’’
अब्दुल्ला सरकार और राजभवन के बीच कई प्रशासनिक मुद्दों पर मतभेद रहे हैं, लेकिन सिन्हा के आदेश ने इसे और बढ़ा दिया है।
मुख्यमंत्री उमर ने अधिकारियों के तबादले के आदेश पर कड़ी असहमति जताते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल सिन्हा और मुख्य सचिव अटल डुल्लू को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में कहा कि ये आदेश बिना किसी ‘‘कानूनी अधिकार’’ के जारी किए गए हैं और निर्वाचित सरकार के अधिकार को कमजोर करते हैं।
सूत्रों के अनुसार, अब्दुल्ला ने कहा कि जेकेएएस अधिकारियों का कैडर पदों पर स्थानांतरण पूरी तरह से निर्वाचित सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है।
अब्दुल्ला ने सिन्हा को लिखे पत्र में उनसे ‘‘एकतरफा’’ निर्णय की समीक्षा करने का अनुरोध किया और कहा कि ऐसे आदेश निर्वाचित सरकार के कामकाज और अधिकार को कमजोर करते हैं।
अब्दुल्ला ने मुख्य सचिव से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि गैर-अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के लिए कोई भी स्थानांतरण या नियुक्ति आदेश मुख्यमंत्री की पूर्व स्वीकृति के बिना जारी न किया जाए।
उन्होंने शाह को लिखे अपने पत्र में कहा कि विवादित तबादलों सहित उपराज्यपाल की कई कार्रवाइयों ने निर्वाचित सरकार के अधिकार को खत्म कर दिया है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में यहां गुपकर रोड स्थित उपमुख्यमंत्री सुरेन्द्र चौधरी के आवास पर यह बैठक हुई और नेकां के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी इसमें शामिल हुए। यह बैठक अनिर्धारित थी।
इस बैठक में कैबिनेट मंत्री, नेकां के सभी विधायक, मुख्य सचेतक निजामुद्दीन भट के नेतृत्व में कांग्रेस के चार विधायक और राज्य सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक शामिल हुए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के छह अप्रैल से शुरू होने वाले जम्मू-कश्मीर के तीन दिवसीय दौरे के मद्देनजर भी यह बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
तनवीर सादिक ने कहा, ‘‘बैठक में विभिन्न मुद्दों पर गहन चर्चा की गई और दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए, जिसमें एक वक्फ (संशोधन) विधेयक (संसद के दोनों सदनों में) पारित किए जाने की निंदा करना शामिल है। हम इसे अल्पसंख्यक विरोधी मानते हैं।’’
उन्होंने कहा कि नेकां नीत सरकार नयी दिल्ली और यहां राजभवन के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध चाहती है, लेकिन इसे हमारी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।
सादिक ने कहा, ‘‘हम इस सरकार को प्यार और सम्मान के साथ चलाना चाहते हैं और सुचारू रूप से काम करना चाहते हैं। इसे हमारी कमजोरी न समझा जाए। हम बार-बार यही कह रहे हैं और यही हमारी आखिरी गुजारिश है कि हमें मजबूर न किया जाए। हम चाहते हैं कि केंद्र, उपराज्यपाल प्रशासन और हमारी सरकार के बीच समन्वय बना रहे। हमारी खामोशी को कमजोरी न समझा जाए।’’
भाषा
प्रीति