साढ़े पांच लाख रुपये की कटौती के साथ 15 लाख रुपये कमाने वालों के लिए पुरानी कर व्यवस्था बेहतर
अजय
- 06 Apr 2025, 12:25 PM
- Updated: 12:25 PM
(राधा रमण मिश्रा)
नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) नये वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ आयकरदाताओं को नई और पुरानी कर व्यवस्था का विकल्प चुनने की जरूरत होगी। ऐसे में नई कर व्यवस्था में छूट सीमा बढ़ने के साथ यह जानना जरूरी है कि कर की कौन सी प्रणाली उनके लिए बेहतर है।
परामर्श कंपनी टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी सर्विसेज एलएलपी में भागीदार विवेक जालान का कहना है कि 12 लाख रुपये (वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 12.75 लाख रुपये) तक की सालाना आय वाले करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त है लेकिन इससे अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए कौन सी प्रणाली बेहतर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि करदाता कर देनदारी को कम करने के लिए बचत और निवेश की कोई योजना बना रहा है या नहीं।
उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो। हालांकि, यदि कुल सालाना आय लगभग 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है, तभी लगभग 5.5 लाख की कटौती का लाभ होगा। इससे अधिक सालाना आय के लिए नई कर व्यवस्था उपयुक्त होगी।
साढ़े पांच लाख रुपये की छूट में आयकर कानून की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये, धारा 24 (बी) के तहत आवास ऋण ब्याज के लिए दो लाख रुपये और धारा 80डी (चिकित्सा बीमा), 80 जी (पात्र संस्थानों को चंदा), 80 ई (शिक्षा ऋण पर ब्याज) आदि जैसी अन्य कटौतियों के तहत लगभग दो लाख रुपये शामिल हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025-26 के बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देते हुए 12 लाख रुपये (वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती के साथ अब 12.75 लाख रुपये) तक की वार्षिक आय को पूरी तरह से आयकर से छूट देने की घोषणा की। आयकर छूट नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले आयकरदाताओं को मिलेगी।
जालान ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यदि करदाता के पास कोई कर योजना या योग्य कटौती नहीं है, तो आमतौर पर नई व्यवस्था अधिक फायदेमंद होगी। इसके अलावा, भले ही करदाता ने कर देनदारी से बचने की योजना बनायी है, पर पुरानी कर व्यवस्था तभी लाभकारी होगी जब करदाता लगभग 5.5 लाख रुपये की कटौती का दावा करने की स्थिति में हो।’’
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘5.5 लाख से कम की कटौती के मामले में, नई व्यवस्था ज्यादातर मामलों में लाभकारी होगी। हालांकि, यह मानते हुए कि लगभग 5.5 लाख की कटौती की जाती है, तो करदाता पुरानी व्यवस्था को चुनने पर विचार कर सकता है लेकिन यह तभी लाभदायक है, जब कुल वार्षिक आय 15,00,000 रुपये से अधिक नहीं है।’’
लगभग 5.5 लाख की कटौती के साथ पुरानी और नई व्यवस्था के बीच कर की बुनियादी तुलना की जाए तो 13 लाख रुपये सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में मानक कटौती और चार प्रतिशत उपकर के साथ 54,600 रुपये कर देनदारी बैठेगी जबकि नई कर व्यववस्था में यह 66,300 रुपये होगी। वहीं 14 लाख रुपये सालाना आय की स्थिति में पुरानी कर व्यवस्था में चार प्रतिशत उपकर के साथ 75,400 रुपये की कर देनदारी बनेगी, जबकि नई व्यवस्था में यह 81,900 रुपये होगी।
इसी प्रकार, 15 लाख सालाना आय के मामले में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 96,200 रुपये और नई में 97,500 रुपये जबकि 16 लाख रुपये में पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,17,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 1,13,100 रुपये बैठेगी।
वहीं मानक कटौती के बिना 13 लाख रुपये की सालाना आय पर पुरानी कर व्यवस्था में 65,000 रुपये जबकि नई व्यवस्था में 78,000 रुपये कर देनदारी बनेगी। वहीं 14 लाख रुपये के मामले में यह क्रमश: 85,800 और 93,600 रुपये बैठेगी। 15 लाख रुपये सालाना की आय पर पुरानी कर व्यवस्था में कर देनदारी 1,06,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,09,200 रुपये बैठेगी। 16 लाख रुपये सालाना कमाई के मामले में कर देनदारी पुरानी कर व्यवस्था में 1,32,600 रुपये और नई व्यवस्था में 1,24,800 रुपये होगी।
नई कर व्यवस्था में चार लाख रुपये सालाना आय पर कोई कर नहीं लगता है। चार से आठ लाख रुपये पर पांच प्रतिशत, आठ से 12 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 12 लाख से 16 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 16 से 20 लाख रुपये पर 20 प्रतिशत, 20 लाख रुपये से 24 लाख रुपये पर 25 प्रतिशत तथा 24 लाख रुपये से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा।
भाषा रमण