गर्भवती महिला की मौत मामले में पुणे के अस्पताल का अग्रिम भुगतान मांगना नियम विरुद्ध: समिति
प्रशांत नरेश
- 07 Apr 2025, 03:34 PM
- Updated: 03:34 PM
पुणे, सात अप्रैल (भाषा) पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल द्वारा कथित तौर पर 10 लाख रुपए जमा न कराने पर गर्भवती महिला को भर्ती न करने और बाद में उसकी मौत होने के मामले की जांच कर रही समिति ने अस्पताल को उन नियमों का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया है, जो धर्मार्थ अस्पतालों को आपातकालीन मामलों में अग्रिम भुगतान मांगने से रोकते हैं।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राधाकिशन पवार की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय समिति ने सोमवार को पुणे पुलिस को अपनी रिपोर्ट सौंप दी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधान परिषद सदस्य अमित गोरखे के निजी सचिव की पत्नी तनीषा भिसे को कथित तौर पर 10 लाख रुपये जमा न करने पर दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने भर्ती करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद, एक अन्य अस्पताल में जुड़वां बेटियों को जन्म देने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।
राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह राज्य स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में एक समिति द्वारा घटना की जांच के आदेश दिए थे।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया, “बॉम्बे सार्वजनिक न्यास अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए धर्मार्थ अस्पतालों द्वारा अपनाई जाने वाली योजना के अनुसार, किसी आपात स्थिति में उन्हें रोगी को तुरंत भर्ती करना होगा और हालत स्थिर होने तक जीवन रक्षक आपातकालीन उपचार के लिए आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करनी होंगी।”
इसने बताया कि किसी धर्मार्थ अस्पताल को आपातकालीन रोगी के भर्ती होने की स्थिति में जमा राशि नहीं मांगनी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल ने इन मानदंडों का उल्लंघन किया है और कार्रवाई करने के लिए धर्मार्थ कार्य आयुक्त से सिफारिश की गई है।
अदालत ने कहा कि अस्पताल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मरीज साढ़े पांच घंटे तक अस्पताल परिसर में था और प्रबंधन को सूचित किए बिना चला गया।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, “हालांकि, महाराष्ट्र नर्सिंग होम पंजीकरण अधिनियम के अनुसार, अस्पताल के लिए मरीज की वित्तीय क्षमता के बारे में सोचे बिना तुरंत उपचार प्रदान करना अनिवार्य है। अस्पताल के लिए यह भी अनिवार्य है कि वह मरीज को आगे के उपचार के लिए रेफर किए गए अस्पताल तक ले जाने की व्यवस्था करे। हालांकि, उक्त मानदंडों का उल्लंघन किया गया है।”
इस बीच, महाराष्ट्र महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने कहा कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि अस्पताल की गलती थी और उसने नियमों का पालन नहीं किया।
पुणे पुलिस आयुक्तालय में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “दो और रिपोर्ट का इंतजार है, एक मातृ मृत्यु जांच रिपोर्ट है, और दूसरी धर्मार्थ आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट है। एक बार ये रिपोर्ट जमा हो जाने के बाद, अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जाएगा।”
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