विदेशी बाजारों में गिरावट से अधिकांश तेल-तिलहन कीमतें टूटीं
राजेश राजेश अजय
- 07 Apr 2025, 07:30 PM
- Updated: 07:30 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को अधिकांश तेल-तिलहन (मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन और बिनौला तेल) के भाव गिरावट दर्शाते बंद हुए।
बाकी तेलों से सस्ता होने की वजह से मांग होने के कारण सोयाबीन तेल के दाम में सुधार देखने को मिला। वहीं बाजार में गिरावट के आम रुख के बावजूद सरसों तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 2.5 प्रतिशत की गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में भी डेढ़ से पौने दो प्रतिशत की गिरावट है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि ‘शुल्क युद्ध’ की वजह से कारोबार में तनाव पहले ही कायम है और इस बीच गुजरात में सरकार की ओर से मूंगफली की बिकवाली शुरू की गई है। मूंगफली का हाजिर दाम पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 15 प्रतिशत नीचे है और ऐसे में सरकार की ओर से मूंगफली बिक्री की पहल से स्थिति और बिगड़ गई है। अगले डेढ़-दो महीने में मूंगफली की बिजाई शुरू होगी और मौजूदा हालात बने रहे तो इसकी बिजाई प्रभावित होना तय है। उल्लेखनीय है कि सरसों, मूंगफली और बिनौले का विकल्प कोई खाद्य तेल नहीं हो सकता।
उन्होंने कहा कि तेल संगठन, सोपा ने सरकार के सामने सोयाबीन बिक्री रुकवाने के प्रयासों के बाद इस बिक्री को रुकवाने में सफल रहा लेकिन मूंगफली के बारे में ऐसी सलाह सरकार को कौन देगा? संभवत: एसईए जैसे तेल संगठन इस मामले में कोई भूमिका निभाएं तो मूंगफली किसानों के लिए बेहतर हो। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में किसी वक्त मूंगफली का काफी उत्पादन होता था जो संभवत: मौजूदा परिस्थितियों जैसे ही कारणों से लुप्त होता चला गया और यह स्थिति बनी रही तो गुजरात, राजस्थान में भी कहीं उत्पादन न प्रभावित हो। मौजूदा स्थिति देश को तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य से भटकाने वाला साबित हो सकता है।
सूत्रों ने कहा कि डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण जहां सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई वहीं सबसे सस्ता होने की वजह से मांग बढ़ने के कारण सोयाबीन तेल के दाम में सुधार आया।
उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज के कमजोर रहने, तथा ऊंचे दाम पर कम लिवाली मांग के कारण पाम-पामोलीन तेल के दाम गिरावट के साथ बंद हुए। पामोलीन और मूंगफली के दाम टूटने के बाद बिनौला तेल भी गिरावट के साथ बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बाजार टूटने का सरसों पर अधिक असर नहीं आया और आवक का स्तर कमजोर बना हुआ है। आज मंडियों में आवक घटकर ल्रगभग 9.50 लाख बोरी रह गई। पामोलीन से सस्ता होने तथा मूंगफली, सूरजमुखी जैसे देशी खाद्य तेलों के खुदरा दाम काफी अधिक होने के कारण सरसों तेल की मांग होने से सरसों तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बने रहे।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,200-6,300 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 5,650-6,025 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,210-2,510 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,340-2,440 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,340-2,465 रुपये प्रति टिन।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,550 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,95 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,350-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,050-4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश