निर्यातकों की मदद के लिए सरकार के प्रयास तेज, आयात पर निगरानी के लिए समूह गठित
प्रेम प्रेम अजय
- 07 Apr 2025, 08:29 PM
- Updated: 08:29 PM
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) सरकार ने मौजूदा वैश्विक परिदृश्य में चीन, वियतनाम और थाइलैंड जैसे देशों से आयात में संभावित वृद्धि पर करीबी नजर रखने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समूह का गठन किया है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने यह कदम इन देशों पर अमेरिका की तरफ से उच्च सीमा शुल्क लगाए जाने के बाद भारत में वहां से आयात में संभावित उछाल को देखते हुए उठाया है। आशंका है कि भारत में उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और इस्पात श्रेणियों के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, आयात में इस संभावित वृद्धि के स्पष्ट संकेत जून से जुलाई के बीच दिखाई दे सकते हैं। नवगठित ‘आयात निगरानी समूह’ में वाणिज्य विभाग, राजस्व विभाग और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
निगरानी समूह को संबंधित मंत्रालयों और उद्योग संघों से आयात में अपेक्षित वृद्धि और इसके घरेलू उद्योग पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों के बारे में विस्तृत जानकारी एकत्र करने का कार्य सौंपा गया है।
सूत्रों ने कहा कि इस निगरानी का प्राथमिक उद्देश्य इन आयात पर कड़ी नजर रखना और किसी प्रकार के हस्तक्षेप या नीतिगत उपायों की जरूरत का आकलन करना है। यह समूह हवाई और समुद्री मार्गों सहित सभी संभावित डेटा बिंदुओं पर गहन विश्लेषण करेगा।
भारत के प्रतिस्पर्धी देशों चीन, थाइलैंड, वियतनाम और मलेशिया पर व्यापक शुल्क लगाए जाने से उनके उत्पाद अमेरिकी बाजार में अपेक्षाकृत महंगे हो गए हैं। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इन देशों से माल का प्रवाह आने वाले महीनों में भारत जैसे अन्य बाजारों की ओर मुड़ सकता है।
अमेरिका ने भारत पर भी अतिरिक्त 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है लेकिन यह शुल्क उसके कई प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में कम है। वियतनाम पर 46 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत और थाइलैंड पर 36 प्रतिशत सीमा शुल्क लगा है।
एक सूत्र ने यह भी कहा कि सरकार निर्यातकों के लिए नए बाजारों की खोज में मदद करने के प्रयासों को तेज करने में जुट गई है। वाणिज्य मंत्रालय निर्यातकों को सस्ती दरों पर ऋण प्रदान करने में समर्थन देने के लिए अपने निर्यात संवर्धन मिशन की शुरुआत में भी तेजी ला रहा है।
इसके अलावा यूरोपीय संघ, ओमान, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन के साथ प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) को लेकर बातचीत भी जारी है।
मंत्रालय ने संबंधित अधिकारियों को भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन और फ्रांस जैसे 20 चिह्नित देशों के साथ द्विपक्षीय बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करने का निर्देश भी दिया है।
निर्यात प्रोत्साहन के लिए चिह्नित देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बांग्लादेश, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, नीदरलैंड, रूस, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, तुर्किये, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं। भारतीय निर्यातकों के लिए इन देशों में अपार अवसर हैं।
सरकार एमएसएमई निर्यातकों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करने, उनके लिए फैक्टरिंग सेवाओं को मजबूत करके वैकल्पिक वित्तपोषण साधनों को बढ़ावा देने और अन्य देशों के गैर-शुल्क कदमों से निपटने के लिए सहायता प्रदान करने के लिए योजनाएं तैयार कर रही है।
इन योजनाओं पर वाणिज्य, सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) और वित्त मंत्रालय काम कर रहे हैं। इन योजनाओं को वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में घोषित निर्यात संवर्धन मिशन के तहत तैयार किया जा रहा है।
सरकार ने बजट में देश के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 2,250 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक निर्यात संवर्धन मिशन शुरू करने की घोषणा की थी।
भाषा प्रेम प्रेम