फैसला नहीं बदलूंगा, नियमों का पालन किया: वक्फ मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा
सुरभि प्रशांत
- 08 Apr 2025, 06:54 PM
- Updated: 06:54 PM
जम्मू, आठ अप्रैल (भाषा) जम्मू कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी सहित सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस नीत गठबंधन के सदस्यों द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग के बीच विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने नियमों के अनुरूप इसे अस्वीकृत करने का निर्णय लिया है और वह अपना फैसला नहीं बदलेंगे।
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व में विपक्षी दल के तीन विधायकों द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर राथर ने संवाददाताओं से कहा कि वह इसे सदन के समक्ष ला सकते हैं, जो इस पर फैसला करेगा।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘समस्या क्या है? उन्हें यह अधिकार है और सदन इसका भाग्य तय करेगा। अगर सदन में अविश्वास है, तो मुझे वहां रहने का कोई अधिकार नहीं है।’’
उन्होंने विरोध कर रहे सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाले गठबंधन और विपक्षी दल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) एवं पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सदस्यों के अलावा कुछ निर्दलीय सदस्यों को सलाह दी कि वे जनता के व्यापक हित में सदन को सुचारू रूप से चलने दें।
विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा की मांग करने और स्थगन प्रस्तावों के नोटिस को अस्वीकार करने के उनके फैसले के विरोध के चलते होने वाले हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को लगातार दूसरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी और अन्य मंत्रियों द्वारा प्रदर्शनकारी सदस्यों के साथ मिलकर अधिनियम पर चर्चा की मांग करने को लेकर उन्होंने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मांग कौन उठा रहा है।
राथर ने कहा, ‘‘चाहे वह सरकार हो, मंत्री हो, विपक्षी सदस्य हों या कोई और, मुझे नियमों के अनुसार बयान पर विचार करना होगा। अगर नियम इसकी अनुमति नहीं देते हैं, तो मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बयान कौन दे रहा है। मैंने नियमों को पढ़ने के बाद फैसला किया है और मैं अपना फैसला नहीं बदलूंगा।’’
वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के संबंध में नौ सदस्यों के स्थगन प्रस्तावों के दो नोटिस को अध्यक्ष ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
कुछ सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष के इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि तमिलनाडु विधानसभा ने प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है और सदन को उसी के अनुरूप कार्य करना चाहिए।
इसके जवाब में विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को बताया कि मामला तब न्यायालय में विचाराधीन नहीं था।
आज सुबह जब सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई सदस्यों ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाया।
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विधायकों को उस उद्देश्य के लिए काम करना चाहिए, जिसके लिए उन्हें लोगों ने विधानसभा में भेजा है।
उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को हमसे बड़ी उम्मीदें हैं और हमें उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। मेरे फैसले (सोमवार) के बाद उन्हें इसे स्वीकार कर लेना चाहिए था। मैं उनके विश्वास के कारण वहां हूं और अगर वे इसे (मेरे फैसले को) स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो यह उनका और जनता का नुकसान है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि नियम 58 (नौ) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संसद में पारित कानून पर विधानसभा का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कानून को केवल संसद या न्यायपालिका द्वारा ही रद्द किया जा सकता है।’’
भाषा सुरभि