उच्च न्यायालय ने हैदराबाद बम विस्फोट मामले में भटकल, चार अन्य दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी
सुरभि सुभाष
- 09 Apr 2025, 12:26 AM
- Updated: 12:26 AM
हैदराबाद, आठ अप्रैल (भाषा) तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 2013 के हैदराबाद बम विस्फोट मामले में, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘इंडियन मुजाहिदीन’ (आईएम) के सह संस्थापक यासीन भटकल समेत पांच आतंकवादियों को मृत्युदंड देने के अधीनस्थ अदालत के फैसले को मंगलवार को बरकरार रखा।
इस बम विस्फोट में 18 लोगों की मौत हो गयी थी और 131 लोग घायल हुए थे।
न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण और न्यायमूर्ति पी. श्री सुधा की पीठ ने राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आईएम के सदस्यों द्वारा दायर पुनरीक्षण अपील को खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘अधीनस्थ अदालत द्वारा सुनाई गई सजा की पुष्टि की जाती है।’’
एनआईए अदालत ने 13 दिसंबर 2016 को आईएम के सह संस्थापक मोहम्मद अहमद सिदिबापा उर्फ यासीन भटकल, पाकिस्तानी नागरिक जिया-उर-रहमान उर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और एजाज शेख को दोषी ठहराया था।
आरोपियों में से एक के वकील ने संवाददाताओं से कहा कि वे फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करेंगे।
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि रियाज भटकल नामक एक प्रमुख आरोपी अब भी फरार है और एनआईए उसकी तलाश में जुटी है।
अधिकारियों ने बताया कि उसके पाकिस्तान में छिपे होने की आशंका है।
उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया कि आजीवन कारावास पूरी तरह से निरर्थक होगा।
एनआईए ने अपने बयान में इसे अपनी जांच की एक बड़ी पुष्टि बताया। एनआईए की विशेष अदालत ने दिसंबर 2016 में आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामले को तत्कालीन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालय को भेज दिया था।
हैदराबाद के भीड़भाड़ वाले दिलसुखनगर इलाके में 21 फरवरी 2013 को हुए दो धमाकों में 18 लोग मारे गए थे और 131 घायल हो गए थे। पहला विस्फोट बस स्टॉप पर और दूसरा दिलसुखनगर में एक ढाबे (ए1 मिर्ची सेंटर) के पास हुआ।
अभियोजन पक्ष के एक वकील ने उच्च न्यायालय में संवाददाताओं से कहा कि एनआईए ने मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी क्योंकि इसमें आतंकवादी गतिविधि शामिल थी, हालांकि इसकी शुरुआती जांच हैदराबाद पुलिस के एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की थी।
अभियोजन पक्ष के वकील ने बताया कि एनआईए मामलों की विशेष अदालत ने इसे दुर्लभतम मामला मानते हुए पांच दोषियों को मृत्युदंड सुनाया था।
उन्होंने कहा कि दोषियों द्वारा दायर अनुरोधों पर विस्तृत सुनवाई करने के बाद उच्च न्यायालय ने आईएम के पांच आतंकवादियों की मौत की सजा को बरकरार रखा।
एनआईए ने 4,000 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया था।
दोषियों की मृत्युदंड की सजा बरकरार रखे जाने पर खुशी जाहिर करते हुए बम विस्फोट में मारे गये लोगों के परिजनों व पीड़ितों और स्थानीय नागरिकों ने दिलसुखनगर स्थित उस भोजनालय में मिठाई बांटी, जहां विस्फोट हुआ था।
भोजनालय के मालिक पांडू ने मीडिया से कहा, “जनता के पैसे से दोषियों को खाना खिलाने के बजाय, उन्हें बिना देरी के फांसी पर लटका देना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि विस्फोट के कुछ पीड़ितों ने अपने अंग तक खो दिए।
पांडू ने सरकार से उन सभी लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का आग्रह किया, जो घायल हुए थे।
उन्होंने विस्फोट वाले दिन को याद करते हुए बताया कि वे बहुत डर गए थे, घटनास्थल पर खून के धब्बे दिखाई दे रहे थे और करीब 10 से 12 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी।
इस बीच, केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने संबंधी उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष रेड्डी ने कहा, “उच्च न्यायालय द्वारा मौत की सजा को बरकरार रखने से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”
भाषा सुरभि