नौकरशाहों की याचिका पर न्यायालय ने कर्नाटक ट्रस्ट को नोटिस जारी किया
प्रशांत नरेश
- 09 Apr 2025, 04:40 PM
- Updated: 04:40 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) कर्नाटक के शीर्ष नौकरशाहों ने 2017 के एक फैसले का कथित रूप से पालन न करने के लिए उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही पर रोक लगाने की अपील करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है।
इस मामले में उन्हें बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित जमनालाल बजाज सेवा ट्रस्ट को 350 एकड़ से अधिक जमीन वापस करने को कहा गया था।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने बुधवार को कर्नाटक के प्रधान सचिव मंजूनाथ प्रसाद और अन्य आठ नौकरशाहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया कि राज्य सरकार द्वारा पहले ही अनुपालन हलफनामा दायर किया जा चुका है और फिर भी अधिकारियों को अवमानना का सामना करना पड़ रहा है।
शीर्ष अदालत ने नौकरशाहों की याचिका पर संज्ञान लिया और ट्रस्ट को नोटिस जारी किया जिसकी भूमि को राज्य के भूमि प्राधिकरणों ने इस आधार पर अपने अधीन ले लिया था कि उसके पास कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम, 1961 के तहत “अतिरिक्त भूमि” है।
सिब्बल ने कहा, “ये राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारी हैं। हमने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर दिया है और अगर अवमानना के आरोप (उच्च न्यायालय में) तय हो जाते हैं तो क्या बचेगा।”
पीठ ने कहा कि पक्षकार उच्च न्यायालय को सूचित कर सकते हैं कि शीर्ष अदालत के पास मामला लंबित है और इसलिए अवमानना मामले की सुनवाई स्थगित की जाए।
सिब्बल ने कहा, “हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करेंगे कि आज (अवमानना) आरोप तय न किए जाएं।”
उच्च न्यायालय में अवमानना मामले की सुनवाई दिन में होनी थी।
शीर्ष अदालत ने दो सप्ताह बाद सुनवाई तय की है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 30 जून 2021 को भूमि न्यायाधिकरण, बेंगलुरु उत्तर के आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें न्यास के पास मौजूद 354 एकड़ और 10 गुंटा भूमि को कर्नाटक भूमि सुधार अधिनियम, 1961 के तहत “अतिरिक्त भूमि” घोषित किया गया था।
उच्च न्यायालय ने न्यायाधिकरण के 28 नवंबर, 2017 के आदेश को रद्द करते हुए न्यास का भूमि पर कब्जा बहाल कर दिया था।
इसके बाद न्यास ने उच्च न्यायालय के फैसले का पालन न करने के लिए राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला दायर किया।
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