‘निष्पक्ष सुनवाई राज्य का कर्तव्य’, कांग्रेस विधायक के आरोपों की ‘बेहतर’ जांच करें: न्यायालय
धीरज अविनाश
- 09 Apr 2025, 06:44 PM
- Updated: 06:44 PM
नयी दिल्ली, नौ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने के राज्य के कर्तव्य को रेखांकित किया और एक मामले में गवाहों पर दबाव डालने के कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती के आरोपों की ‘बेहतर’ जांच का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने भारती के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर संज्ञान लिया, जिन्होंने दावा किया था कि मामले में बचाव पक्ष के गवाहों को धमकी देने का प्रयास किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया कि राज्य द्वारा नियुक्त अधिकारियों ने बचाव पक्ष के गवाहों पर दबाव डालने के संबंध में याचिकाकर्ता के आरोपों की उचित जांच नहीं की है। हमें उम्मीद थी कि अधिकारी याचिकाकर्ता और गवाहों द्वारा लगाए गए प्रत्येक आरोप की जांच करेंगे।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यह राज्य का कर्तव्य है कि वह निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करे, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकारों का एक अनिवार्य हिस्सा है। इसलिए, हम निर्देश देते हैं कि बेहतर जांच की जाए और आज से एक महीने के भीतर इस अदालत को रिपोर्ट सौंपी जाए।’’
उच्चतम न्यायालय ने 10 फरवरी को भारती के खिलाफ मामले की सुनवाई मध्य प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने पर रोक लगा दी थी और प्रथम दृष्टया पाया था कि गवाहों को धमकाने के आरोप पर निचली अदालत के समक्ष ‘‘पर्याप्त सामग्री’’ मौजूद है।
पीठ ने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से, निचली अदालत को भी सामग्री के आधार पर उचित कार्रवाई करनी चाहिए थी। एक और सवाल यह है कि क्या राज्य ने याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए इस गंभीर आरोप की जांच का कोई प्रयास किया कि बचाव पक्ष के गवाहों को डराने की कोशिश की गई थी, जैसा रिकॉर्ड पर दायर आवेदनों/शपथपत्रों में कहा गया है।’’
भारती ने दावा किया कि राज्य के पूर्व गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता नरोत्तम मिश्रा जिला लोक अभियोजक और अतिरिक्त जिला लोक अभियोजक के साथ मिलीभगत से मुकदमे को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
एक बैंक प्रबंधक ने भारती पर एक खाते में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। भारती ने अपनी मां के नाम पर जिला सहकारी ग्रामीण बैंक में कथित तौर पर धनराशि जमा की थी।
भाषा धीरज