बंगाल में नौकरियां गंवाने वाले शिक्षकों का प्रदर्शन, पुलिस के साथ हुई झड़प
प्रशांत नेत्रपाल
- 09 Apr 2025, 07:14 PM
- Updated: 07:14 PM
कोलकाता, नौ अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के परिणामस्वरूप अपनी नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों और अन्य गैर-शिक्षण कर्मचारियों के एक वर्ग ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के कई जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि कोलकाता में सुरक्षाबलों द्वारा उन पर लाठीचार्ज किया गया तथा उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।
कथित पुलिस कार्रवाई के विरोध में, भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु के साथ उस निर्धारित बैठक को रद्द कर दिया जो बातचीत के माध्यम से शिक्षक भर्ती संकट को हल करने के लिए बुलाई गई थी।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गंगोपाध्याय को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को संबोधित एक पत्र बसु को सौंपना था, जिसमें “पात्र शिक्षकों” की नौकरियों को बचाने के लिए एक तंत्र खोजने में मदद करने के लिए समिति बनाने के उनके सुझाव शामिल थे।
कोलकाता के कसबा क्षेत्र में लगभग 150-200 प्रदर्शनकारी जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआई) के कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए तथा अपनी बहाली और अधिकारी से मुलाकात की मांग की। विरोध प्रदर्शन उस समय अराजक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अवरोधक तोड़ दिए और गेट बंद देख जबरन परिसर में घुस गए।
कोलकाता पुलिस आयुक्त मनोज वर्मा ने राज्य सचिवालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि घटना में कम से कम छह पुलिसकर्मी घायल हो गए।
उन्होंने कहा, “हम शिक्षकों से अनुरोध करेंगे कि जब भी उन्हें कोई विरोध प्रदर्शन करना हो या प्रतिवेदन प्रस्तुत करना हो तो हम स्वयं इसमें सहयोग करेंगे। हम शिक्षकों के खिलाफ नहीं हैं और उनका सम्मान करते हैं तथा उनके प्रति सहानुभूति रखते हैं।”
कोलकाता पुलिस ने दावा किया कि भीड़ को तितर-बितर करने तथा और अधिक चोट एवं संपत्ति की क्षति को रोकने के लिए उसे हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
पुलिस ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “अनियंत्रित भीड़ ने कसबा पुलिस डीआई कार्यालय के बाहर महिला पुलिसकर्मियों सहित पुलिस के जवानों पर अकारण हिंसक हमला कर दिया। चार पुरुष और दो महिला पुलिसकर्मी घायल हो गए जिनका इलाज हो रहा है। पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने और चोटों तथा संपत्ति की क्षति को रोकने के लिए हल्का बल प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा। घटना की जांच जारी है।”
प्रदर्शनकारियों ने हालांकि दावा किया कि पुलिस ने उनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए लाठीचार्ज किया।
इस संबंध में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम योग्य हैं, इसीलिए हमारी नियुक्ति हुई है। हमने गलत तरीके से अपनी नौकरी खो दी और अब पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने पर हमें पीट रही है।”
उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 25,753 शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की नियुक्ति को अमान्य करार देने के साथ ही पूरी चयन प्रक्रिया को ‘त्रुटिपूर्ण तथा विकृत’ बताया है।
हुगली, मालदा, दार्जिलिंग, दक्षिण दिनाजपुर, पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर, नादिया और मुर्शिदाबाद सहित कई अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन देखे गए, जहां प्रदर्शनकारियों ने प्रतीकात्मक रूप से जिला निरीक्षक (डीआई) कार्यालयों को बंद कर दिया और विरोध प्रदर्शन किया।
हुगली में प्रदर्शनकारियों ने जी.टी. रोड को जाम कर दिया और मांग की कि सरकार योग्य उम्मीदवारों को बहाल करे। मालदा के इंग्लिश बाजार में प्रदर्शनकारियों की डीआई दफ्तर के बाहर पुलिस से झड़प हुई।
बालुरघाट में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस अवरोधक तोड़ दिए और डीआई कार्यालय परिसर में घुस गए तथा गेट बंद कर धरना दिया।
पूर्वी मेदिनीपुर के तामलुक में प्रदर्शनकारियों ने गेट बंद कर डीआई कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। खबर है कि उन्होंने कर्मचारियों को भी भवन में प्रवेश करने से रोक दिया।
बसु के साथ बैठक रद्द करने के बाद गंगोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने योग्य शिक्षकों पर हुए क्रूर लाठीचार्ज के विरोध में शिक्षा मंत्री के साथ अपनी बैठक रद्द कर दी है। सरकार योग्य उम्मीदवारों की सुरक्षा करने में विफल रही है। मुझे मंत्री को एक पत्र देना था, लेकिन मैंने विरोध में उसे फाड़ दिया।”
भाजपा सांसद ने आरोप लगाया, “योग्य उम्मीदवारों की नौकरियां बचाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की है। उनके दखल के कारण ही एसएससी योग्य और अयोग्य उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित करने में असमर्थ है।”
नौकरी खोने वाले प्रदर्शनकारी शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों पर पुलिस कार्रवाई की आलोचना करते हुए भाजपा के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने आरोप लगाया कि पुलिस बल मंगलवार को मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान जान और संपत्ति की रक्षा करने के लिए पर्याप्त सक्रिय नहीं था।
बसु ने शिक्षक भर्ती संकट को बातचीत के माध्यम से हल करने के उद्देश्य से आयोजित बैठक में गांगुली के शामिल न होने पर निराशा व्यक्त की।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मैंने उनका इंतजार किया। लेकिन मुझे बताया गया कि वह बैठक में नहीं आएंगे।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि चर्चा के जरिए शांतिपूर्ण समाधान निकालने का एक अवसर निकल गया।
हाल के विरोध प्रदर्शनों और कथित पुलिस कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर बसु ने प्रदर्शनों के समय और इरादे पर सवाल उठाया।
उन्होंने पूछा, “मुख्यमंत्री के साथ बैठक और उसके बाद हमारे साथ बातचीत की योजना के बाद भी ये विरोध प्रदर्शन क्यों जारी हैं?”
भाषा प्रशांत