एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने सर्जरी कर तीन साल की बच्ची के शरीर से जुड़े अविकसित भ्रूण को अलग किया
नोमान
- 09 Apr 2025, 09:04 PM
- Updated: 09:04 PM
भोपाल, नौ अप्रैल (भाषा) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भोपाल के डॉक्टरों ने एक जटिल और अत्यंत दुर्लभ सर्जरी के जरिए तीन साल की बच्ची की खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से जुड़े एक ‘परजीवी जुड़वां’ (पैरासिटिक ट्विन या अविकसित भ्रूण) को अलग करने में सफलता हासिल की।
एम्स ने कहा कि एक अविकसित जुड़वां भ्रूण बच्चे की खोपड़ी और गर्दन से जुड़ा हुआ था।
‘परजीवी जुड़वां’ एक अत्यंत दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति है, जो तब उत्पन्न होती है जब गर्भावस्था के दौरान दो भ्रूणों में से एक भ्रूण पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता और दूसरे भ्रूण से जुड़ जाता है।
एम्स ने एक बयान में कहा कि इस अविकसित भ्रूण को ‘परजीवी जुड़वां’ कहा जाता है क्योंकि यह अपने दम पर जीवित नहीं रह सकता है।
मध्य प्रदेश के अशोकनगर की तीन वर्षीय लड़की के गर्दन के पीछे जन्म के समय से ही एक मांसल उभार था। उसे एम्स भोपाल के न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था।
बयान में कहा गया कि लड़की का एमआरआई और सीटी स्कैन किया गया, जिससे पता चला कि बच्ची की खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी से एक अधूरा शरीर जुड़ा हुआ था, जिसमें पैर और श्रोणि हड्डियां शामिल थीं।
मामले की जटिलता को देखते हुए, डॉ राधा गुप्ता और डॉ अंकुर (रेडियोलॉजी विभाग), डॉ रियाज अहमद (बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग) और डॉ वेद प्रकाश (प्लास्टिक सर्जरी विभाग) के साथ एक बैठक आयोजित की गई।
एम्स ने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद, यह सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द सर्जरी करने का निर्णय लिया गया कि बच्ची सामान्य जीवन जी सके।
विगत तीन अप्रैल को डॉ. सुमित राज ने डॉ. जितेंद्र शाक्य और डॉ. अभिषेक की मदद से इस दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने टीम की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, ‘‘एम्स भोपाल मध्य भारत में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। ऐसे अत्यधिक जटिल मामलों में सफलता हमारे डॉक्टरों की विशेषज्ञता, अंतर-विभागीय समन्वय और संस्थान की बेहतर संरचनात्मक सुविधाओं का एक प्रमाण है।’’
भाषा ब्रजेन्द्र