मणिपुर : कुकी समुदाय के विरोध के कारण मेइती लोगों ने तीर्थयात्रा पर जाने की योजना रद्द की
रवि कांत रवि कांत दिलीप
- 14 Apr 2025, 08:47 PM
- Updated: 08:47 PM
मोइरांग, 14 अप्रैल (भाषा) समुदाय के बुजुर्गों की सलाह के बाद बड़ी संख्या में मेइती समुदाय के लोगों ने सोमवार को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में पवित्र थांगजिंग पहाड़ियों पर जाने की अपनी योजना रद्द कर दी और यहां से घर लौट आए।
कुकी-जो समुदाय के लोग तीर्थयात्रियों के 'बफर जोन' को पार करने के खिलाफ हैं।
मेइती समुदाय के लोग पवित्र स्थल माने जाने वाले थांगजिंग की तीर्थयात्रा के लिए पहुंचना शुरू हो गए थे, दूसरी ओर कुकी-जो समुदाय के सदस्यों ने उनसे यात्रा से दूरी बनाने का आग्रह किया है। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना की आशंका के मद्देनजर सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं।
बिष्णुपुर जिले के मोइरांग शहर और थांगजिंग पहाड़ियों के बीच की दूरी 10 किलोमीटर से अधिक है।
बफर जोन में सुरक्षाबलों द्वारा कड़ी निगरानी रखी जा रही है, जो मेइती समुदाय द्वारा नियंत्रित इंफाल घाटी और अशांत राज्य के कुकी-बहुल पहाड़ी जिलों को अलग करता है।
राज्य के बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जो मई 2023 से जातीय हिंसा से प्रभावित हैं।
रविवार को, इंफाल घाटी के विभिन्न हिस्सों से कई मेइती तीर्थयात्रियों ने बिष्णुपुर में थांगजिंग मंदिर में प्रार्थना की और आने वाले दिनों में तीर्थयात्रा की तैयारी के लिए मोइरांग और आसपास के इलाकों में रात भर डेरा डाले रहे। कई मेइती श्रद्धालु समुदाय के बुजुर्गों द्वारा पवित्र पहाड़ी पर मौजूदा स्थिति का हवाला देते हुए वापस घर लौट आए, जहां कथित तौर पर हथियारों से लैस कुकी समुदाय के लोग मौजूद हैं।
थांगजिंग पहाड़ी को मेइती समुदाय पवित्र स्थल मानता है और वे पारंपरिक रूप से अप्रैल में इस क्षेत्र में आते हैं।
शनिवार को कई कुकी-जो नागरिक संगठनों ने मेइती समुदाय को थांगजिंग पहाड़ी पर चढ़ने को लेकर चेतावनी दी और कहा कि इस तरह के किसी भी प्रयास का ‘‘पूरी ताकत से विरोध किया जाएगा।’’
छह कुकी संगठन थांगजिंग पहाड़ियों पर मेइती तीर्थयात्रियों के चढ़ने का विरोध कर रहे हैं।
इस बीच, ‘मेइती हेरिटेज सोसाइटी’ ने एक बयान में कहा, ‘‘... कानून का राज कायम रहना चाहिए और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए....।’’
सोसाइटी ने कहा, ‘‘मेइती लोगों को थांगजिंग पहाड़ियों की तीर्थयात्रा न करने की धमकी देना असंवैधानिक है और यह स्वतंत्र आवाजाही और धार्मिक प्रथाओं के अधिकार का घोर उल्लंघन है।’’
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