पश्चिम बंगाल : वक्फ कानून पर भांगर में हिंसा की घटनाएं, मुर्शिदाबाद में शांति बनी रही
आशीष सुभाष
- 14 Apr 2025, 10:51 PM
- Updated: 10:51 PM
(फोटो सहित)
कोलकाता/मुर्शिदाबाद/मालदा, 14 अप्रैल (भाषा) पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर इलाके में सोमवार को वक्फ (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा की घटनाएं हुईं। वहीं, पुलिस ने दावा किया कि मुर्शिदाबाद में कानून व्यवस्था की स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है।
इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) के समर्थकों की भांगर में पुलिस के साथ झड़प हुई, जिसमें कई लोग घायल हो गए। हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया और कई पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई।
झड़पें उस वक्त शुरू हुईं जब पुलिस ने आईएसएफ समर्थकों को मध्य कोलकाता के रामलीला मैदान की ओर जाने से रोक दिया, जहां वे वक्फ कानून के खिलाफ रैली में शामिल होने जा रहे थे। इस रैली को आईएसएफ नेता और भांगर के विधायक नौशाद सिद्दीकी संबोधित कर रहे थे।
पुलिस के अनुसार, रैली में शामिल लोगों को बसंती राजमार्ग पर भोजेरहाट के पास रोक दिया गया, जहां भांगर के साथ-साथ मिनाखान और संदेशखालि जैसे पड़ोसी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आईएसएफ कार्यकर्ता एकत्र हुए थे।
तनाव उस वक्त बढ़ गया जब भीड़ ने पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को पार करने का प्रयास किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रदर्शनकारियों ने कुछ पुलिस वाहनों को आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों के हमले में कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए।’’
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसके कारण आईएसएफ के एक कार्यकर्ता के सिर में चोट आई। रामलीला मैदान में आयोजित रैली के लिए पुलिस की ओर से जरूरी अनुमति नहीं ली गई थी।
हालात जल्द ही बिगड़ने लगे जिसके कारण आईएसएफ कार्यकर्ता राजमार्ग पर धरना देने लगे, जिससे वहां यातायात अवरूद्ध हो गया। हालात को नियंत्रित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया। बाद में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया गया।
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उग्र भीड़ को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
कोलकाता में रैली को संबोधित करते हुए सिद्दीकी ने कहा, ‘‘यह कानून सिर्फ मुसलमानों पर हमला नहीं है, यह संविधान पर हमला है। हम इस कानून को स्वीकार नहीं करेंगे। जो सरकार ऐसे कानूनों का समर्थन करती है, उसे जाना होगा।’’
इससे पहले, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और लोगों को शांति बहाल करने तथा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया।
अतिरिक्त महानिदेशक (पूर्व) रवि गांधी के नेतृत्व में बीएसएफ के एक प्रतिनिधिमंडल ने सुती और शमशेरगंज पुलिस थाना क्षेत्रों के साथ-साथ धुलियान के कई अशांत इलाकों का दौरा किया, जहां सप्ताहांत में व्यापक हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए।
अतिरिक्त महानिदेशक ने दौरे के बाद ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमने लोगों से बात की और उन्हें उनकी सुरक्षा का आश्वासन दिया। हमने स्थानीय लोगों और वहां तैनात हमारे जवानों से बातचीत की। स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है।’’
उन्होंने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी बैठक की। रवि गांधी ने कहा, ‘‘इलाके में गश्त बढ़ाने के लिए एक संयुक्त रणनीति तैयार की गई है। हम सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए राज्य पुलिस के साथ गहन समन्वय में काम कर रहे हैं।’’
राज्य पुलिस ने कहा है कि मुर्शिदाबाद में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, दुकानें फिर से खुल रही हैं तथा घर-बार छोड़ कर गये परिवार वापस लौटने लगे हैं।
अतिरिक्त महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) जावेद शमीम ने कहा, ‘‘दुकानें खुलनी शुरू हो गई हैं और लोग वापस लौट रहे हैं। अब तक 19 परिवार अपने घर लौट चुके हैं। मालदा और मुर्शिदाबाद, दोनों जिला प्रशासन जिलों से चले गए लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब तक 210 गिरफ्तारियां की गई हैं। मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें। अगर हमें शांति बनाए रखनी है तो अफवाहों को रोकना होगा।’’
बाद में, कालीघाट में काली मंदिर के निकट एक ‘स्काईवॉक’ का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से धर्म के नाम पर गैर-धार्मिक गतिविधियों में शामिल न होने को कहा।
ममता ने कहा, ‘‘हर किसी को अनुमति के साथ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। मैं लोगों से अनुरोध करूंगी कि वे कानून को अपने हाथ में न लें।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने मालदा के एक स्कूल में स्थापित राहत शिविर का दौरा किया। इस राहत शिविर में मुर्शिदाबाद हिंसा के पीड़ित कई हिंदू परिवारों ने शरण ली है।
उन्होंने विस्थापित परिवारों से मुलाकात की और बाद में प्रभावित लोगों की सहायता के लिए स्थापित विशेष नियंत्रण कक्ष का दौरा किया।
मजूमदार ने कहा, ‘‘कई महिलाएं अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़ीं। उनके घरों को आग लगा दी गई, संपत्ति नष्ट कर दी गई और उन्हें जान से मारने की धमकियां दी गईं। एक महिला ने अपने चार दिन के बच्चे के साथ यहां शरण ली है।’’
मजूमदार ने आरोप लगाया कि ‘कट्टरपंथी ताकतों’ द्वारा ये हमले विरोध प्रदर्शन की आड़ में किये गए।
उन्होंने दावा किया, ‘‘शुरुआत में 200-250 परिवारों ने यहां शरण ली थी। अब शिविर बंद कराने के पुलिस के दबाव के चलते और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नाकामी को छुपाने के लिए करीब 75 परिवार ही बचे हैं। वे अब भी डर के साये में जी रहे हैं।’’
राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह खराब होने का आरोप लगाते हुये भाजपा के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने मांग की कि राज्य में 2026 में होने वाला विधानसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत करवाया जाना चाहिये।
अधिकारी ने कहा कि मुर्शिदाबाद में जारी अशांति ने नागरिकों की सुरक्षा और शांति बनाए रखने में राज्य सरकार की नाकामी को उजागर किया है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता अधिकारी ने कोलकाता में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जहां भी हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें मतदान करने से रोका जाता है। पुलिस सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं की तरह काम करती है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए विधानसभा चुनाव राष्ट्रपति शासन के तहत होने चाहिए।’’
भाषा आशीष