वेतन वृद्धि होने तक प्रदर्शन जारी रहेगा, राज्य सरकार वार्ता से पीछे हटी: आशा कार्यकर्ता
प्रीति सुरेश
- 15 Apr 2025, 04:04 PM
- Updated: 04:04 PM
तिरुवनंतपुरम, 15 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक सचिवालय के बाहर अपनी मांगों के लिए पिछले दो महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहीं आशा कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को कहा कि जब तक उनका वेतन नहीं बढ़ाया जाता तब तक वे पीछे नहीं हटेंगी।
आशा कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार पर एकतरफा ढंग से उनके साथ वार्ता से पीछे हटने का भी आरोप लगाया।
केरल आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ (केएएचडब्ल्यूए) की राज्य उपाध्यक्ष एस. मिनी ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी मांगों और कार्य स्थितियों की जांच करने तथा अपनी रिपोर्ट देने के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव ‘‘केवल विरोध को समाप्त करने की एक रणनीति थी।’’
उन्होंने एक टीवी चैनल से कहा, ‘‘समिति गठित करने का प्रस्ताव ईमानदारी से नहीं दिया गया। अभी तक कोई समिति भी गठित नहीं की गई है। यह केवल हमारे विरोध को समाप्त करने की एक चाल थी।’’
मिनी ने कहा, ‘‘हमारा प्रदर्शन जोरदार तरीके से जारी रहेगा। हम इसे तब तक समाप्त नहीं करेंगे जब तक हमारे वेतन में बढ़ोतरी नहीं हो जाती है।’’
मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) की कुछ सदस्य फरवरी से सचिवालय के बाहर प्रदर्शन कर रही हैं और अपने मानदेय को 7,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने तथा पांच लाख रुपये का सेवानिवृत्ति लाभ देने की मांग कर रही हैं।
आशा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन पिछले 65 दिन से जारी है। इस पर मिनी ने कहा कि यदि सरकार अंतरिम उपाय के रूप में उनके मानदेय में 3,000 रुपये की वृद्धि कर दे तथा पांच लाख रुपये का सेवानिवृत्ति लाभ देने की घोषणा कर दे तो वे अपना प्रदर्शन समाप्त करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘पिछली वार्ता में जब सरकार समिति गठित करने का प्रस्ताव लेकर आई थी तब हमने उन्हें इस बारे में सूचित किया था। उन्होंने (सरकार ने) कहा कि अगले दिन बातचीत जारी रहेगी, लेकिन अगले दिन उन्होंने हमें बताया कि कोई बातचीत नहीं होगी। इसलिए यह सरकार ही है, जिसने एकतरफा तरीके से बातचीत से हाथ खींच लिया।’’
मिनी ने तीन अप्रैल को सरकार के साथ हुई पांचवें दौर की वार्ता का जिक्र करते हुए उक्त बात कही।
पिछले सप्ताह केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा था कि सरकार ने प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं के साथ छह दौर की बातचीत की है और उनकी कार्य स्थितियों को आसान बनाने के लिए कई उपाय भी किए हैं।
उन्होंने दावा किया था कि इसके बावजूद प्रदर्शनकारी महिलाएं कह रहीं हैं कि जब तक उन्हें 21,000 रुपये मानदेय और पांच लाख रुपये सेवानिवृत्ति लाभ नहीं मिल जाता तब तक वे अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगी।
भाषा
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