ईडी ने सहारा समूह के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच के तहत लोनावाला में ‘एंबी वैली’ को कुर्क किया
प्रीति दिलीप
- 15 Apr 2025, 09:10 PM
- Updated: 09:10 PM
नयी दिल्ली, 15 अप्रैल (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को कहा कि उसने सहारा समूह के खिलाफ धन शोधन जांच के तहत महाराष्ट्र के लोनावाला में 707 एकड़ में फैली आलीशान एंबी वैली सिटी और उसके आसपास के मनोरम क्षेत्र को कुर्क कर लिया है, जिसकी कीमत 1,460 करोड़ रुपये है।
पुणे जिले में सह्याद्रि पर्वतीय क्षेत्र में बसे इस आवासीय शहर को इसके निर्माताओं ने एक समय ‘‘भारत का पहला नियोजित पहाड़ी शहर’’ करार दिया था, जिसमें लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली जीवनशैली का अनुभव देने के लिए बड़े गोल्फ कोर्स, झीलें, विला, लकड़ी के बने छोटे घर या झोपडियां हैं।
‘एंबी वैली सिटी’ मुंबई से लगभग 110 किमी और पुणे से लगभग 90 किमी दूर स्थित है।
संघीय एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसके कोलकाता कार्यालय द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘एंबी वैली सिटी’ को कुर्क करने के लिए एक अनंतिम आदेश जारी किया गया है।
इसमें कहा गया कि यह भूमि सहारा समूह की कंपनियों से प्राप्त धनराशि से ‘‘बेनामी’’ नामों से खरीदी गई थी।
एजेंसी ने कहा कि सहारा इंडिया और उसकी समूह की कंपनियों के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच के तहत लोनावाला (पुणे जिला) स्थित ‘एंबी वैली सिटी’ और उसके आसपास की कुल 707 एकड़ जमीन को कुर्क कर लिया गया है, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य 1460 करोड़ रुपये है।
ईडी ने विभिन्न राज्यों के पुलिस विभागों में दर्ज 500 से अधिक प्राथमिकियों के बाद धनशोधन का मामला दर्ज किया था।
ईडी ने ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा ‘हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों के अलावा, सहारा समूह की कंपनियों और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज 500 से अधिक शिकायतों का विश्लेषण किया।
ईडी ने कहा कि इनमें से 300 से अधिक प्राथमिकी पीएमएलए के तहत अपराधों के लिए दर्ज की गई थीं।
एजेंसी के अनुसार, ऐसे आरोप हैं कि निवेशकों को पैसे जमा करने के नाम पर ‘धोखा’ दिया गया और निवेशकों की बिना सहमति के उन्हें दोबारा से धन जमा करवाने के लिए मजबूर किया गया तथा बार-बार मांगे जाने पर भी निवेशकों को निवेश किए जाने के बाद परिपक्व हुई राशि का भुगतान नहीं किया गया।
ईडी ने कहा कि सहारा समूह विभिन्न संस्थाओं जैसे ‘एचआईसीसीएसएल’, ‘सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ (एससीसीएसएल), ‘सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी’ (एसयूएमसीएस), ‘स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ (एसएमसीएसएल), ‘सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (एसआईसीसीएल), ‘सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (एसआईआरईसीएल), ‘सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड’ (एसएचआईसीएल) और अन्य कंपनियों के जरिए पोंजी योजना चला रहा था।
इसने कहा, ‘‘समूह ने निवेशकर्ताओं और एजेंट को क्रमश: पैसा जमा करने पर अधिक मुनाफा मिलने और ‘कमीशन’ का लालच देकर धोखा दिया। समूह ने जमाकर्ताओं की किसी भी जानकारी या नियंत्रण के बिना गैर-विनियमित तरीके से एकत्र धन का उपयोग किया।’’
ईडी ने कहा, ‘‘समूह ने निवेशकर्ताओं और एजेंट को कोई भी राशि नहीं दी। इसके बजाय जमाकर्ताओं को उनकी परिपक्व हो चुकी राशि को पुनः जमा करने के लिए मजबूर किया तथा जमाराशि को एक योजना से दूसरी योजना तथा अन्य संस्था में स्थानांतरित कर दिया।’’
इसमें कहा गया है कि गैर-भुगतान को छिपाने के लिए, समूह ने बही खाता में हेराफेरी की, ताकि एक योजना में पुनर्भुगतान दिखाया जा सके, तथा पुनर्निवेश को किसी अन्य योजना में नए निवेश के रूप में दर्शाया जा सके।
एजेंसी ने कहा कि समूह ने पोंजी योजना को जारी रखने के लिए परिपक्व हो चुकी राशि न चुकाए जाने के बावजूद इसमें नयी जमाएं स्वीकार करना जारी रखा।
ईडी ने इस मामले में विभिन्न व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं, जिसमें सहारा समूह के जमाकर्ता, एजेंट, कर्मचारी तथा अन्य संबंधित व्यक्ति शामिल हैं।
इससे पहले मामले में की गई तलाशी के दौरान 2.09 करोड़ रुपये की ‘‘अस्पष्टीकृत’’ नकदी जब्त की गई थी।
भाषा प्रीति