‘सुपर्ब फेयरी-रेंस’ पक्षियों के गीतों में उनके व्यक्तित्व के सुराग छिपे होते हैं: अध्ययन
द कन्वरसेशन सुरभि सुरेश
- 16 Apr 2025, 04:18 PM
- Updated: 04:18 PM
(डायने कोलोम्बेली-नेग्रेल, फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी)
एडिलेड (ऑस्ट्रेलिया), 16 अप्रैल (द कन्वरसेशन) जब हम पक्षियों के गीतों के बारे में सोचते हैं तो हम अकसर सुबह की सैर के दौरान एक खुशनुमा ‘धुन’ की कल्पना करते हैं। हालांकि, पक्षियों के लिए गीत पृष्ठभूमि संगीत से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका इस्तेमाल वे एक साथी को आकर्षित करने और क्षेत्र की रक्षा करने के लिए करते हैं।
लेकिन क्या होगा अगर कोई गाना गायक के व्यक्तित्व के बारे में कुछ गहरा खुलासा कर सके?
‘रॉयल सोसाइटी ओपन साइंस’ में डायने कोलोम्बेली-नेग्रेल और उनके सहकर्मियों द्वारा प्रकाशित एक नए अध्ययन से पता चलता है कि ऐसा हो सकता है।
शोध अंतराल को पाटना
पक्षियों की कई प्रजातियों के लिए गाने की जटिलता अलग-अलग होती है, कुछ पक्षी दूसरों की तुलना में अधिक जटिल धुनें बनाते हैं। इस तरह के अंतर अकसर आनुवांशिक गुणवत्ता, आयु या स्वास्थ्य में व्यक्तिगत भिन्नता को दर्शाते हैं। आज तक के अधिकांश शोध नर पक्षियों पर केंद्रित रहे हैं और बहुत कम अध्ययनों ने इस बात को परखा है कि पक्षियों में गाने की जटिलता उनके व्यक्तित्व से कैसे संबंधित है।
नया अध्ययन इसी शोध अंतराल को संबोधित करता है
डायने कोलोम्बेली-नेग्रेल और उनके सहयोगियों ने एक छोटी ऑस्ट्रेलियाई गाने वाली चिड़िया जंगली ‘सुपर्ब फेयरी-रेंस’ (मैलुरस साइनेस) का अध्ययन किया, जो अपने चमकदार पंखों और गाने की जटिल कला के लिए जानी जाती है। रोचक बात यह है कि इन प्रजातियों में दोनों ही नर एवं मादा पक्षी जटिल गीतों को गाना सीखते हैं। यह उन्हें नर और मादा दोनों में गीत की जटिलता और व्यक्तित्व के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए एक अच्छा उदाहरण बनाता है।
शोधकर्ताओं ने जंगली ‘सुपर्ब फेयरी-रेंस’ को पकड़ा और उनके व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए उन्हें कुछ समय के लिए कैद में रखा। विशेष रूप से, उन्होंने पक्षियों को एक नए वातावरण में रखकर उनका आकलन किया। उन्होंने देखा कि ये पक्षी कहां-कहां गए और उन्होंने पर्यावरण के बारे में कितनी खोज की।
शोधकर्ताओं ने आईने का उपयोग करके उनकी आक्रामकता का भी परीक्षण किया, क्योंकि पक्षी अकसर अपने प्रतिबिंब को प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं और उसी के अनुसार प्रतिक्रिया करते हैं।
उन्होंने पक्षियों की गीत की जटिलता (प्रति गीत तत्व के प्रकार और प्रति गीत आलाप) का आकलन करने के लिए कई महीनों तक उनके गीतों को रिकॉर्ड किया।
आक्रामकता बनाम खोज
शोधकर्ताओं ने पाया कि लिंग या जीवन अवस्था से परे जो पक्षी अधिक खोजी प्रवृत्ति के थे, उनमें कम खोजी प्रवृत्ति वाले पक्षियों की तुलना में प्रति गीत अधिक तत्व थे। साथ ही, अधिक आक्रामक पक्षियों ने कम आक्रामक पक्षियों की तुलना में कम आलाप वाले गीत गाए, जिन्हें रिकॉर्डिंग में सुना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि उनका अध्ययन दर्शाता है कि नर और मादा दोनों ही अपने गीतों के माध्यम से अपने व्यक्तित्व का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह सवाल भी उठता है कि पक्षी अपने गीत किससे सीखते हैं।
‘सुपर्ब फेयरी-रेंस’ पक्षी के मामले में नन्हे पक्षी अपने माता पिता के साथ साथ प्रजाति के अन्य सदस्यों से ये गीत सीखते हैं।
इसके अलावा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि व्यक्तित्व और गीत की जटिलता के बीच का संबंध जीवन के विभिन्न चरणों के बीच बदल सकता है।
द कन्वरसेशन सुरभि