बंगाल भाजपा अध्यक्ष ने मुर्शिदाबाद दंगा प्रभावित लोगों के साथ डीजीपी कार्यालय के बाहर धरना दिया
संतोष प्रशांत
- 16 Apr 2025, 09:26 PM
- Updated: 09:26 PM
(तस्वीर के साथ)
कोलकाता, 16 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बुधवार को मुर्शिदाबाद हिंसा से प्रभावित कुछ लोगों के साथ कोलकाता में पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय के बाहर धरना दिया। उन्होंने पीड़ितों के उनकी चिंताएं व्यक्त करने के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारी से मुलाकात की मांग की।
उन्होंने मुस्लिम बहुल जिले में सांप्रदायिक दंगे भड़काने की साजिश रचने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
डीजीपी राजीव कुमार के अनुपस्थित रहने के कारण केंद्रीय मंत्री मजूमदार ने मांग की कि या तो वह उनके कार्यालय आएं और दंगा प्रभावित लोगों से मुलाकात करें या उनकी मांगें सुनने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को तैनात करें।
दंगा प्रभावित लोगों, जिनकी संख्या आठ से दस थी, को दक्षिण कोलकाता के भवानी भवन में डीजीपी कार्यालय ले जाने से पहले मजूमदार ने राज्य भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया, जहां पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई।
प्रभावित लोगों, जिनमें से अधिकांश गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं थीं, ने बताया कि शुक्रवार को जब भीड़ उनके शमशेरगंज क्षेत्र के बेदबोना गांव में पहुंची, तो उन्हें अपना सामान छोड़कर भागना पड़ा और पास के जंगल में शरण लेनी पड़ी।
दंगा प्रभावित लोगों में से एक बुज़ुर्ग महिला ने पत्रकारों को बताया, ‘‘घंटों बाद, जब हम अपने गांव लौटे, तो हमारे ज्यादातर घर या तो तोड़-फोड़ दिए गए थे या जला दिए गए थे। भीड़ ने नकदी और कीमती सामान सामान लूट लिया था। हम सदमे में थे और हमने नावों के जरिये भागीरथी नदी पार की और मालदा जिले के एक स्कूल में स्थापित राहत शिविर में शरण ली।’’
राहत शिविर में रह रहे एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि उसका भविष्य अंधकारमय है क्योंकि उसके सारे पैसे, जो उसने राज्य के बाहर प्रवासी मजदूर के रूप में काम करके बचाए थे, लूट लिए गए हैं।
उसने कहा कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय पार्षद भीड़ के जाने के बाद आए, लेकिन सुरक्षा सुनिश्चित करने के उनके वादों से वे आश्वस्त नहीं थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे पत्नी, मां और छोटी बेटी के साथ नाव में बैठकर अपना गांव छोड़ना पड़ा और निकटवर्ती मालदा में शरण लेनी पड़ी।’’
मजूमदार ने कहा कि हालांकि डीजीपी ने वादा किया है कि दंगों में शामिल एक भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, लेकिन उन्होंने सवाल किया कि क्या शीर्ष पुलिस अधिकारी ने प्रभावित लोगों से बात की है।
केंद्रीय मंत्री ने पूछा, ‘‘प्रभावित लोगों ने दावा किया है कि भीड़ को कुछ पड़ोसियों ने उकसाया था, जिनके घरों को अछूता छोड़ दिया गया। क्या इस पहलू पर गौर किया गया है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी उपद्रवियों की पहचान की जानी चाहिए। हमें अभी पुलिस की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट देखनी है।’’ मजूमदार ने मांग की कि राज्य सरकार प्रभावित लोगों को उनके घरों, दुकानों और अन्य संपत्तियों के पुनर्निर्माण के लिए मुआवजा दे।
उन्होंने दावा करते हुए कहा, ‘‘यहां तक कि दंगाइयों ने तृणमूल सदस्यों की संपत्ति को भी नहीं बख्शा।’’
भाषा संतोष