कांग्रेस, माकपा, आईयूएमएल ने वक्फ मुद्दे पर शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया
पारुल सुरेश
- 17 Apr 2025, 07:20 PM
- Updated: 07:20 PM
तिरुवनंतपुम/कोच्चि/मुंबई, 17 अप्रैल (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), कांग्रेस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने उच्चतम न्यायालय के उस फैसले का बृहस्पतिवार को स्वागत किया, जिसमें केंद्र सरकार से कहा गया है कि वह 1995 के वक्फ अधिनियम के तहत पंजीकृत वक्फ संपत्तियों को पांच मई तक गैर-अधिसूचित नहीं करेगी।
शीर्ष अदालत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सरकार से यह भी कहा कि इस अवधि में केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए।
माकपा की केरल इकाई के सचिव एमवी गोविंदन ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप देश के धर्मनिरपेक्ष समूहों के लिए बड़ी राहत है।
उन्होंने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि यह फैसला वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के केंद्र के “मनमाने” धर्मनिरपेक्षता-विरोधी निर्णय के खिलाफ एक प्रभावी बचाव है।
गोविंदन ने उम्मीद जताई कि शीर्ष अदालत का अंतिम फैसला उनके पक्ष में होगा।
वहीं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि संसद में पारित कानून पर सर्वोच्च न्यायालय की ओर से रोक लगा दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश के जरिये देश को बड़ा संदेश दिया है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) और कांग्रेस ने संसद में जो चिंताएं जाहिर की थीं, वे सही थीं।
कोच्चि में संवाददाताओं से मुखातिब वेणुगोपाल ने दावा किया कि शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह अधिनियम संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए पारित किया गया है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई के दौरान वही सवाल उठाए, जो विपक्ष ने संसद में उठाए थे।
वेणुगोपाल ने कहा, “यह अंतरिम आदेश हमारी, लोकतंत्र और संविधान की जीत है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने मुंबई में संववादाताओं से कहा कि यह आदेश विवादास्पद कानून के खिलाफ उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के रुख की पुष्टि करता है।
उन्होंने कहा कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 संविधान के खिलाफ है।
चेन्निथला ने कहा, “यह आदेश एक अच्छा कदम है। हम इसका स्वागत करते हैं। शीर्ष अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है और केंद्र सरकार से एक सप्ताह में (संशोधित वक्फ कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर) अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। केंद्र को सर्वोच्च न्यायालय की ओर से पूछे गए सवालों का जवाब देना चाहिए।”
कोच्चि में आईयूएमएल के राष्ट्रीय महासचिव पीके कुन्हालीकुट्टी ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम उपाय के तौर पर अधिनियम के कुछ प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है और यह दर्शाता है कि मामले की सुनवाई निष्पक्ष तरीके से की जा रही है।
कुन्हालीकुट्टी ने कहा, “अब तक तो सब ठीक है। यह आदेश अंतरिम रोक की प्रकृति का है।” हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उक्त आदेश सामान्य कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है और यह देखना होगा कि अंतिम फैसला क्या होगा।
शीर्ष अदालत ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की।
भाषा पारुल