वक्फ पर विपक्ष बोला: उच्चतम न्यायालय से उम्मीद, भाजपा ने सात दिन के समय का स्वागत किया
हक सुरेश
- 17 Apr 2025, 07:40 PM
- Updated: 07:40 PM
नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) विपक्षी दलों ने वक्फ (संशोधन अधिनियम) पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों का स्वागत करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस विषय को लेकर देश की शीर्ष अदालत से उम्मीद जगी है, क्योंकि यह नया कानून सिर्फ धार्मिक अधिकारों पर ही नहीं, बल्कि संविधान की मूल आत्मा पर हमला है।
दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि विपक्षी दलों के याचिकर्ताओं ने अंतरिम आदेश के लिए दबाव बनाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने सरकार को सात दिन का समय दिया, जो स्वागत योग्य कदम है।
उच्चतम न्यायालय ने पांच मई तक ‘वक्फ बाय यूजर’ समेत वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं करने और केंद्रीय वक्फ परिषद एवं वक्फ बोर्ड में नियुक्तियां न करने का केंद्र सरकार से आश्वासन लेने के साथ ही उसे संबंधित अधिनियम की वैधता पर जवाब दाखिल करने के लिए बृहस्पतिवार को सात दिन का समय दिया।
कांग्रेस नेता एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने इस अधिनियम के माध्यम से किसी समुदाय नहीं, बल्कि संविधान की मूल आत्मा पर हमला किया है।
सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार जिसे सुधार बता रही है, दरअसल वह अधिकारों पर प्रहार है। वक्फ अधिनियम प्रशासनिक कदम नहीं है, यह एक मूल वैचारिक हमला है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘कानून सुधार की भाषा में यह अधिनियम पूरी तरह से शत-प्रतिशत नियंत्रण की नीति लाने का प्रयास करता है। यह न सिर्फ़ धार्मिक संस्थाओं पर चोट करता है, बल्कि अल्पसंख्यकों के आत्मनिर्णय, स्वायत्तता की भावना को कुचलता है। यह सत्ता की दखलंदाजी को सुशासन कहकर पेश करता है।’’
सिंघवी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चुप नहीं रहेगी और सड़क से लेकर संसद तक इस अधिनियम का विरोध करेगी।
उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ़ अधिनियम एक लक्षित अतिक्रमण है तथा यह अधिनियम प्रशासनिक कार्यकुशलता के नाम पर स्थापित न्यायिक सिद्धांतों को कुचलता है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों पर गंभीरता से विचार करेगा।
उन्होंने ‘पीटीआई वीडियो’ से कहा, ‘‘आज हमारी सबसे ज्यादा उम्मीद उच्चतम न्यायालय से है। जिस तरह की टिप्पणियां आईं हैं, उनको देखते हुए हमें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर विचार करेगा।’’
यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा देश को संविधान से नहीं, बल्कि ‘मन विधान’ से चलाना चाहती है।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘उच्चतम न्यायलय ने कहा है कि केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड का गठन नहीं किया जाएगा और ‘वक्फ बाय यूजर’ को हटाया नहीं जा सकता। संयुक्त संसदीय समिति के विचार-विमर्श के दौरान मैंने सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों का विरोध करते हुए कई सुझाव दिये थे और विधेयक पर संसद में चर्चा के दौरान मैंने इसे (विधेयक) असंवैधानिक बताया था।’’
उन्होंने कहा कि इस कानून के खिलाफ हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
आरएसपी के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का आदेश स्वागत योग्य कदम है और विपक्ष की नैतिक जीत भी है।
उन्होंने कहा कि संसद में चर्चा के दौरान विपक्ष ने जिन विषयों को उठाया था, उनका संज्ञान न्यायालय ने लिया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने इन्हें नहीं सुना।
भाजपा नेता और वक्फ संबंधी संसद की संयुक्त समिति के प्रमुख रहे जगदंबिका पाल ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं के वकील बुधवार को अंतरिम आदेश के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन, वे इसे कानून के आधार पर नहीं समझा रहे थे। सरकारी पक्ष के वकील ने विस्तार से बताया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए इन मुद्दों पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में पहले ही विचार किया जा चुका है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दलीलें सुनने के बाद उच्चतम न्यायालय ने भारत सरकार और अन्य याचिकाकर्ताओं को सात दिन का समय दिया। हम इसका स्वागत करते हैं।’’
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