कर्नाटक में ‘जाति जनगणना’ मुद्दे पर विशेष कैबिनेट बैठक बिना किसी बड़े फैसले के समाप्त
शफीक वैभव
- 17 Apr 2025, 11:35 PM
- Updated: 11:35 PM
बेंगलुरु, 17 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक में बृहस्पतिवार को विवादास्पद सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा के लिए बुलाई गई विशेष कैबिनेट बैठक बिना किसी बड़े फैसले के समाप्त हो गई। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
कर्नाटक में सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट को ‘जाति जनगणना’ के नाम से भी जाना जाता है।
हालांकि, बैठक में शामिल मंत्रियों ने किसी भी आंतरिक मतभेद से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने सर्वेक्षण के लिए इस्तेमाल किए गए मापदंडों पर चर्चा की तथा वरिष्ठ अधिकारियों से अधिक जानकारी और तकनीकी विवरण मांगे।
मंत्रिमंडल दो मई को एक बार फिर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा करेगा।
कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच के पाटिल ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की है और यह महसूस किया गया कि चर्चा के लिए अधिक जानकारी और तकनीकी विवरण की आवश्यकता है। इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों को इसे उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।’’
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि चर्चा सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और जनसंख्या, पिछड़ापन, सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण के दौरान इस्तेमाल किए गए मापदंडों, आर्थिक मापदंडों जैसे कई मामलों पर चर्चा हुई।
इस बीच, सूत्रों ने बताया कि कई लोगों द्वारा इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताए जाने का हवाला देते हुए कुछ मंत्रियों ने सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। इसके बाद, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सभी मंत्रियों से लिखित या मौखिक रूप से अपनी राय देने को कहा।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने मंत्रियों से अगली कैबिनेट बैठक से पहले लिखित या मौखिक रूप से अपनी राय देने को कहा है।
विभिन्न समुदायों, विशेषकर कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों - वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत - ने इस सर्वेक्षण पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताते हुए मांग की है कि इसे खारिज किया जाए तथा एक नया सर्वेक्षण कराया जाए।
समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा भी इस सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई गई है तथा सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर से भी इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं।
हालांकि, सभी वर्ग इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। दलितों और ओबीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता और संगठन इसके समर्थन में हैं और चाहते हैं कि सरकार सर्वेक्षण रिपोर्ट को सार्वजनिक करे और इस पर आगे बढ़े।
भाषा शफीक