भारत-ब्रिटेन रक्षा परामर्श समूह ने संबंधों की समीक्षा की, सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई
पारुल सुरेश
- 17 Apr 2025, 08:30 PM
- Updated: 08:30 PM
(अदिति खन्ना)
लंदन, 17 अप्रैल (भाषा) लंदन में इस हफ्ते आयोजित 24वीं भारत-ब्रिटेन रक्षा परामर्श समूह बैठक में रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देते हुए रक्षा संबंधों की समीक्षा की गई।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और उनके ब्रिटिश समकक्ष ने डेविड विलियम्स ने इस बैठक की सह-अध्यक्षता की, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गहरा करना था। दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों ने सोशल मीडिया पर इस नियमित बैठक के सफल आयोजन की पुष्टि की।
भारत के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह और ब्रिटेन के उनके समकक्ष डेविड विलियम्स ने लंदन में 24वीं भारत-ब्रिटेन रक्षा परामर्श समूह बैठक की सह-अध्यक्षता की, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को और गहरा करना था।”
बयान में कहा गया है, “बैठक में जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें रक्षा उद्योग सहयोग का विस्तार करना और खासतौर पर विशिष्ट एवं उभरती प्रौद्योगिकियों में ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देना शामिल है।”
यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विमानवाहक पोत ‘एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स’ की तैनाती की तैयारियों को अंतिम रूप दिए जाने की घोषणा की है। यह पोत 22 अप्रैल को पोर्ट्समाउथ से हिंद-प्रशांत क्षेत्र की अपनी यात्रा पर रवाना होगा, जिसमें भारत के नियोजित बंदरगाहों का दौरा भी शामिल है।
‘ऑपरेशन हाईमास्ट’ नाम के ‘करियर स्ट्राइक ग्रुप’ की इस आगामी तैनाती को ब्रिटेन के सशस्त्र बलों के लिए एक प्रमुख वैश्विक तैनाती और भारत जैसे साझेदारों एवं सहयोगियों के साथ जटिल अभियानों को साझा तौर पर अंजाम देने के अहम अवसर के रूप में देखा जा रहा है।
ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कहा, “हिंद महासागर क्षेत्र से गुजरते हुए यह समूह अमेरिका, भारत, सिंगापुर और मलेशिया सहित विभिन्न साझेदारों के साथ सैन्य अभ्यास करेगा। इसके बाद यह 19 साझेदार देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया के पास तालिस्मन सेबर अभ्यास में शामिल होगा। समूह जापान के रक्षा बलों के साथ प्रशिक्षण सत्र में हिस्सा लेगा और भारत के बंदरगाहों का भी दौरा करेगा।”
हिंद-प्रशांत क्षेत्र को व्यापार के लिहाज से ब्रिटेन के लिए एक “महत्वपूर्ण क्षेत्र” के रूप में देखा जाता है। इस क्षेत्र से होने वाला आयात-निर्यात ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में अरबों पाउंड के बराबर योगदान देता है। ‘एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स’ की तैनाती ब्रिटिश कंपनियों को बंदरगाहों की यात्रा के दौरान व्यापार कार्यक्रमों में हिस्सा लेने का अवसर भी प्रदान करेगी।
भाषा पारुल