सरला की मौत के मामले में न्यायालय ने हमारी आपत्तियों को मान्यता दी : भाई अनुराग मिश्रा
ब्रजेन्द्र, रवि कांत
- 18 Apr 2025, 08:32 PM
- Updated: 08:32 PM
भोपाल, 18 अप्रैल (भाषा) मध्यप्रदेश की कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत के मामले से जुड़ी पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट खारिज किए जाने और 28 साल बाद मामले की फिर से जांच कराने के न्यायालय के आदेश को उनके भाई अनुराग मिश्रा ने परिवार के लिए ‘संतोष का विषय’ बताते हुए न्याय मिलने का भरोसा भी जताया है।
उन्होंने शुक्रवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि पहली बार यह मामला न्यायालय के पटल पर आया और न्यायालय ने ‘हमारी बातों और आपत्तियों’ को मान्यता दी।
अनुराग ने कहा, ‘‘पुलिस ने जो लीपापोती की थी और मामले को आत्महत्या में तब्दील कर दिया था, न्यायालय ने उसे संदिग्ध माना और जांच के आदेश दिए हैं। अदालत के इस फैसले से हमारे परिवार में बड़ा संतोष है।’’
ज्ञात हो कि सरला मिश्रा 14 फरवरी 1997 को भोपाल के साउथ टीटी नगर स्थित सरकारी आवास पर संदिग्ध अवस्था में जली हुई पाई गई थीं। उन्हें गंभीर रूप से जली हुई हालत में स्थानीय हमीदिया में भर्ती किया गया और फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 19 फरवरी को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।
उन दिनों मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे।
पुलिस थाना टीटी नगर ने मामले की जांच कर साल 2000 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी।
सरला मिश्रा को न्याय दिलाने के लिए उनके भाई अनुराग मिश्रा ने इस क्लोजर रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति पेश की थी और साथ ही इस संबंध में जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के बाद भोपाल जिला अदालत को आदेश दिए थे। जिला अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी पलक राय ने बुधवार को अपने आदेश में क्लोजर रिपोर्ट को अधूरा बताया और माना कि इस प्रकरण में जांच सही से नहीं हुई थी। उन्होंने पुलिस को फिर से जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
अनुराग ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि 28 साल बाद (मौत के) अदालत का इस तरह का आदेश आना अपने आप में ‘अपराध’ की पुष्टि करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें दृढ़ विश्वास था कि मेरी बहन ने आत्महत्या नहीं की है। उसकी हत्या की गई है। शुरू से ही हम लोग पुलिस को यही कहते रहे कि हमारे बयान दर्ज कराए जाएं, माता-पिता और भाई के बयान दर्ज कराए जाएं लेकिन ऐसा नहीं किया गया।’’
उन्होंने सवाल किया कि क्या कोई जलता हुआ व्यक्ति किसी को फोन कर सकता है कि वह जल रहा है और उससे खुद को बचाने की गुहार लगा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बताइए, यह कितना बड़ा सफेद झूठ था।’’
अनुराग ने कहा कि न्यायालय ने अपने आदेश में इस मुद्दे सहित ‘जांच की अन्य खामियों’ पर भी गौर किया है और अपनी बात रखी है।
अनुराग ने कहा कि पुलिस जब इस मामले से जुड़े लोगों से कड़ाई से पूछताछ करेगी तो सारे सबूत सामने आ जाएंगे कि ‘उन्हें किसके-किसके फोन आए और उन्होंने किसके प्रभाव में काम किया’।
उन्होंने कहा, ‘‘अब तो इतनी पारदर्शिता आ गई है और एक से एक वैज्ञानिक तरीके भी आ चुके हैं कि उनके झूठ छिपने वाले नहीं हैं।’’
अनुराग ने कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है कि न्याय मिलेगा। जब 28 साल बाद न्यायालय के पटल पर पहली बार यह मामला आया और उसने सिरे से नकार दिया (जांच को)... यह अपने आप में बहुत बड़ा निर्णय है। ऐतिहासिक है। पूरा भरोसा है कि हमारे परिवार को न्याय मिलेगा।’’
इस मामले में बुधवार को अदालत का फैसला आने के बाद दिग्विजय सिंह ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए जांच के आदेश का स्वागत किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार नहीं है। इसे कम से कम 20 साल से ज्यादा हो गया है। जितनी जांच करानी है, करा लो। स्वागत है।’’
भाषा
ब्रजेन्द्र, रवि कांत