राज और उद्धव के फिर साथ आने को लेकर अटकलें तेज
शफीक दिलीप
- 19 Apr 2025, 08:47 PM
- Updated: 08:47 PM
मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) मनसे नेता राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई एवं शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक सुलह की अटकलों को उस समय बल मिला, जब राज ठाकरे ने कहा कि उनके पिछले मतभेद ‘‘मामूली’’ हैं और ‘मराठी मानुष’ के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है।
शनिवार को उद्धव ने भी कहा कि वह छोटी-मोटी बातों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को कोई महत्व नहीं दिया जाए।
उनका इशारा राज ठाकरे द्वारा अपने आवास पर शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था।
शनिवार को अभिनेता-निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ राज ठाकरे का एक ‘पॉडकास्ट’ जारी हुआ। इसमें राज ने कहा कि जब वह अविभाजित शिवसेना में थे, तब उन्हें उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। राज ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने कहा, ‘‘एक बड़े उद्देश्य के लिए, हमारे झगड़े और मुद्दे मामूली हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। महाराष्ट्र के लिए, मराठी मानुष के अस्तित्व के लिए, ये झगड़े बहुत तुच्छ हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एकजुट रहना कोई मुश्किल काम है। लेकिन ये इच्छाशक्ति पर निर्भर है।’’
जब राज से पूछा गया कि क्या दोनों चचेरे भाई राजनीतिक रूप से एक साथ आ सकते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी इच्छा या स्वार्थ का सवाल नहीं है। हमें व्यापक तौर पर चीजों को देखने की जरूरत है। सभी महाराष्ट्रवासियों को एक पार्टी बनानी चाहिए।’’
राज ने इस बात पर जोर दिया कि अहंकार को मामूली मुद्दों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘मैं भी मामूली मुद्दों को किनारे रखने के लिए तैयार हूं और मैं सभी से मराठी मानुष के लिए एक साथ आने की अपील करता हूं।’’
उद्धव ने कहा कि अगर मनसे अध्यक्ष ने महाराष्ट्र के निवेश और कारोबार को गुजरात में स्थानांतरित करने का विरोध किया होता, तो दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के हितों का ख्याल रखने वाली सरकार बनती।
राज का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं हो सकता कि आप (लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का) समर्थन करें, फिर (विधानसभा चुनाव के दौरान) विरोध करें और फिर समझौता कर लें। ऐसे नहीं चल सकता।’’
शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पहले यह तय करें कि जो भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसका घर में स्वागत नहीं किया जाएगा, आप उनके घर जाकर रोटी नहीं खाएंगे। फिर महाराष्ट्र के हितों की बात करें।’’
उद्धव ने कहा कि वह छोटी-मोटी असहमतियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि मेरा किसी से झगड़ा नहीं है और अगर कोई है तो मैं उसे सुलझाने को तैयार हूं। लेकिन पहले इस (महाराष्ट्र के हित) पर फैसला करें। फिर सभी मराठी लोगों को तय करना चाहिए कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या मेरे साथ।’’
गौरतलब है कि उद्धव का बयान ऐसे समय में आया है, जब शिवसेना (उबाठा) ने महाराष्ट्र में हिंदी को ‘‘थोपने’’ का विरोध किया है, जबकि राज्य सरकार ने एनईपी के तहत तीन-भाषा फॉर्मूले को मंजूरी दे दी है।
शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में अपने चाचा की पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और बाद में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था।
राज ने उद्धव ठाकरे पर कई तीखे हमले किए थे, जिन्हें उन्होंने शिवसेना से बाहर निकलने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीट जीतने के बाद मनसे धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई और महाराष्ट्र में राजनीतिक हाशिये पर चली गई। पार्टी का वर्तमान में विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
भाषा
शफीक