राज और उद्धव के बीच सुलह की चर्चा तेज, मतभेदों को नजरअंदाज करने को तैयार
शफीक वैभव
- 19 Apr 2025, 11:56 PM
- Updated: 11:56 PM
मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) मनसे नेता राज ठाकरे और उनके चचेरे भाई एवं शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक सुलह की अटकलों को उस समय बल मिला, जब दोनों के बयानों से संकेत मिला कि वे ‘‘मामूली मुद्दों’’ को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के अलगाव के बाद हाथ मिला सकते हैं।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनके पिछले मतभेद ‘‘मामूली’’ हैं और ‘मराठी मानुष’ के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है।
शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी बातों और मतभेदों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को कोई महत्व नहीं दिया जाए।
उद्धव का इशारा राज ठाकरे द्वारा अपने आवास पर शिवसेना प्रमुख और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मेजबानी करने की ओर था।
अपने चचेरे भाई का नाम लिए बिना उद्धव ठाकरे ने कहा कि 'चोरों' की मदद करने के लिए कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए। उनका स्पष्ट इशारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिंदे नीत शिवसेना की ओर था।
शनिवार को अभिनेता-निर्देशक महेश मांजरेकर के साथ राज ठाकरे का एक ‘पोडकास्ट’ जारी हुआ। इसमें राज ने कहा कि जब वह अविभाजित शिवसेना में थे, तब उन्हें उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। राज ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं?
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने कहा, ‘‘एक बड़े उद्देश्य के लिए, हमारे झगड़े और मुद्दे मामूली हैं। महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। महाराष्ट्र के लिए, मराठी मानुष के अस्तित्व के लिए, ये झगड़े बहुत तुच्छ हैं। मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एकजुट रहना कोई मुश्किल काम है। लेकिन ये इच्छाशक्ति पर निर्भर है।’’
जब राज से पूछा गया कि क्या दोनों चचेरे भाई राजनीतिक रूप से एक साथ आ सकते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरी इच्छा या स्वार्थ का सवाल नहीं है। हमें व्यापक तौर पर चीजों को देखने की जरूरत है। सभी महाराष्ट्रवासियों को एक पार्टी बनानी चाहिए।’’
राज ने इस बात पर जोर दिया कि अहंकार को मामूली मुद्दों पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘मैं भी मामूली मुद्दों को किनारे रखने के लिए तैयार हूं और मैं सभी से मराठी मानुष के लिए एक साथ आने की अपील करता हूं।’’
उद्धव ने अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में मनसे अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि अगर महाराष्ट्र के निवेश और कारोबार को गुजरात में स्थानांतरित करने का विरोध किया गया होता, तो दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के हितों का ख्याल रखने वाली सरकार बनती।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं हो सकता कि आप (लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का) समर्थन करें, फिर (विधानसभा चुनाव के दौरान) विरोध करें और फिर समझौता कर लें। ऐसे नहीं चल सकता। ’’
शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पहले यह तय करें कि जो भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसका घर में स्वागत नहीं किया जाएगा। आप उनके घर जाकर रोटी नहीं खाएंगे। फिर महाराष्ट्र के हितों की बात करें।’’
लोकसभा चुनाव के दौरान राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी।
उद्धव ने कहा कि वह छोटी-मोटी असहमतियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि मेरा किसी से झगड़ा नहीं है और अगर कोई है तो मैं उसे सुलझाने को तैयार हूं। लेकिन पहले इस (महाराष्ट्र के हित) पर फैसला करें। फिर सभी मराठी लोगों को तय करना चाहिए कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या मेरे साथ।’’
मनसे प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने एक बयान में असहमति जताते हुए कहा कि 2014 के विधानसभा चुनाव और 2017 के नगर निकाय चुनावों के दौरान उनकी पार्टी का उद्धव ठाकरे के साथ खराब अनुभव रहा था, जब यह मांग जोर पकड़ रही थी कि दोनों चचेरे भाइयों को फिर से एक हो जाना चाहिए।
देशपांडे ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इतने बुरे अनुभव के बाद (राज) साहब ने गठबंधन का कोई प्रस्ताव दिया है। अब वे हमसे कह रहे हैं कि भाजपा से बात न करें। (लेकिन) अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव को बुलाएं तो वे दौड़कर भाजपा के पास चले जाएंगे। ’’
शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने कहा कि दोनों चचेरे भाइयों के बीच खून का रिश्ता है।
राउत ने कहा, ‘‘राज ठाकरे ने अपनी राय जाहिर कर दी है। उद्धव जी ने जवाब दिया है। अब देखते हैं क्या होता है। ’’
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यदि वे एक साथ आते हैं तो हमें खुशी होगी। बिछड़े लोगों को एक साथ आना चाहिए और यदि उनके बीच मतभेद समाप्त हो जाते हैं तो यह अच्छी बात है।’’
भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘‘उद्धव ठाकरे के साथ हाथ मिलाना है या नहीं, यह पूरी तरह से राज ठाकरे का विशेषाधिकार है। वह अपनी पार्टी का भविष्य तय कर सकते हैं। भाजपा को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।’’
प्रदेश कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि अगर ठाकरे परिवार एक साथ आता है, तो आपत्ति करने का कोई कारण नहीं है।
पुणे में उन्होंने कहा, ‘‘जब राज ठाकरे कहते हैं कि उद्धव ठाकरे के साथ उनके मुद्दे महाराष्ट्र से बड़े नहीं हैं, तो उनका इशारा यही होता है कि भाजपा महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रही है।’’
कांग्रेस और शिवसेना (उबाठा) गठबंधन सहयोगी हैं।
शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के भतीजे राज ने जनवरी 2006 में अपने चाचा की पार्टी से इस्तीफा दे दिया था और बाद में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया था।
राज ने उद्धव ठाकरे पर कई तीखे हमले किए थे, जिन्हें उन्होंने शिवसेना से बाहर निकलने के लिए जिम्मेदार ठहराया था।
वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों में 13 सीट जीतने के बाद मनसे धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई और महाराष्ट्र में राजनीतिक हाशिये पर चली गई। पार्टी का वर्तमान में विधानसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
भाषा
शफीक