ईडी की ‘भगोड़ा’ घोषित करने की मांग सहीं नहीं, ब्रिटेन में मेरा निवास वैध : संजय भंडारी
धीरज नरेश
- 20 Apr 2025, 05:26 PM
- Updated: 05:26 PM
(उदयन किशोर)
नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा)चर्चित हथियार कारोबारी संजय भंडारी ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उसे काले धन के मामले में ‘भगोड़ा’ घोषित करने के लिए दिल्ली की एक अदालत के समक्ष दाखिल की गई अर्जी का विरोध करते हुए दावा किया कि ब्रिटेन में उसका रहना वैध है, क्योंकि लंदन उच्च न्यायालय ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया है।
भंडारी के मामले में लंदन उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए इंग्लैंड की एक अदालत ने 11 अप्रैल को कथित करोड़ों रुपये के चावल खरीद घोटाले में एक अन्य आरोपी को प्रत्यर्पित करने के भारत सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
खबरों के मुताबिक हाल ही में बेल्जियम में गिरफ्तार किए गए भगोड़े भारतीय हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी ने भी भारत प्रत्यर्पित करने का विरोध करते हुए लंदन उच्च न्यायालय के उक्त आदेश का हवाला दिया है। भारत उसे कथित 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा चलाने के लिए वापस लाना चाहता है।
भंडारी का नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाद्रा के खिलाफ धन शोधन मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच में भी सामने आया है।
लंदन स्थित उच्च न्यायालय ने भंडारी की उस अपील को फरवरी में स्वीकार कर लिया था जिसमें उसने कथित कर चोरी और धन शोधन के आरोपों का सामना करने के लिए भारत प्रत्यर्पित करने को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा था कि तिहाड़ जेल में उसे जबरन वसूली का ‘वास्तविक खतरा’ होगा, साथ ही अन्य कैदियों और जेल अधिकारियों की ओर से धमकी या ‘हिंसा’ भी हो सकती है।
इस महीने की शुरुआत में ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने भी भारत सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसके आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी गई थी।
भंडारी ने 19 अप्रैल को अपने वकील के माध्यम से न्यायाधीश संजीव अग्रवाल के समक्ष दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए ये दलीलें दीं। वकील ने दावा किया कि उनके ‘‘मुवक्किल के ब्रिटेन में रहने को अवैध नहीं कहा जा सकता, क्योंकि उसे ब्रिटेन में रहने का कानूनी अधिकार है और भारत सरकार ब्रिटेन की अदालत के फैसले से बंधी हुई है... भंडारी कानूनी रूप से वहां रह रहा है और ऐसी स्थिति में उसे ‘भगोड़ा’ घोषित करना कानूनी रूप से गलत है।’’
भंडारी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दावा किया कि ईडी का आवेदन ‘‘अस्पष्ट, गलत और अधिकार क्षेत्र से बाहर है क्योंकि यह भगोड़ा अपराधी अधिनियम की शर्तों को पूरा नहीं करता।’’
सिंह ने दावा किया कि भगोड़ा अपराधी अधिनियम के अनुसार, अनुसूचित अपराध (वर्तमान मामले में भंडारी के खिलाफ काले धन का मामला) 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक के गबन का होनी चाहिए ताकि किसी व्यक्ति को ‘भगोड़ा’ घोषित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि हालांकि, जब ईडी ने भंडारी को भगोड़ा घोषित करने के लिए आवेदन दायर किया था, तो उनके पास आयकर विभाग का ऐसा कोई आकलन उपलब्ध नहीं था और अदालत को यह गुमराह किया गया कि अपराध में कुल 100 करोड़ रुपये से अधिक संलिप्तता है।
वकील ने कहा, ‘‘इसके अलावा, आयकर विभाग ने मार्च 2020 में कार्यवाही को रद्द करने के लिए भंडारी द्वारा दायर एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष रखे अपने पक्ष में कहा था कि अपराध में 100 करोड़ रुपये से कम राशि है।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, जिन गैर-जमानती वारंटों के आधार पर उन्हें ब्रिटेन में गिरफ्तार किया गया था, उन्हें ब्रिटेन के उच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार बरी कर दिया गया है और उनके खिलाफ कोई नया वारंट लंबित नहीं है।
दिल्ली की अदालत ने ईडी से भंडारी की दलील पर तीन मई तक जवाब मांगा है। उसके बाद न्यायाधीश मामले पर आगे की सुनवाई करेंगे।
भाषा धीरज