‘स्पेडेक्स’ मिशन : इसरो ने उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ में दूसरी बार सफलता हासिल की
सुरभि नरेश पारुल
- 21 Apr 2025, 03:49 PM
- Updated: 03:49 PM
(फाइल फोटो के साथ)
नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) मिशन के तहत दूसरी बार दो उपग्रहों की ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक पूरी कर ली है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ तकनीक तब आवश्यक होती है, जब सामान्य मिशन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कई रॉकेट या अंतरिक्ष यान प्रक्षेपित करने की जरूरत होती है। यह तकनीक दो या उससे अधिक अंतरिक्ष यान को एक साथ जोड़कर या कक्षा में साथ लाकर एक बड़ी संरचना बनाने तथा सामान की आपूर्ति करने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इससे भारत को अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और चंद्रयान-4 अभियान का संचालन करने में मदद मिलेगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सिंह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इसरो स्पेडेक्स अपडेट : यह बताते हुए खुशी हो रही है कि उपग्रहों की दूसरी ‘डॉकिंग’ सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है।’’
इसरो ने पिछले साल 30 दिसंबर को ‘स्पेडेक्स’ मिशन शुरू किया था और अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ संबंधी प्रयोग के लिए दो उपग्रह-एसडीएक्स01 और एसडीएक्स02 को कक्षा में स्थापित किया था।
सिंह ने कहा, ‘‘जैसा कि पहले सूचित किया गया है, पीएसएलवी-सी60/स्पेडेक्स मिशन को 30 दिसंबर 2024 को सफलतापूर्वक शुरू किया गया था। इसके बाद उपग्रहों को पहली बार 16 जनवरी 2025 को सुबह छह बजकर 20 मिनट पर सफलतापूर्वक ‘डॉक’ और 13 मार्च 2025 को सुबह नौ बजकर 20 मिनट पर सफलतापूर्वक ‘अनडॉक’ (उपग्रहों को अलग करने की प्रक्रिया) किया गया। अगले दो सप्ताह में आगे के प्रयोगों की योजना बनाई गई है।’’
अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ संबंधी प्रयोग करने वाला चौथा देश है।
‘स्पेडेक्स’ में महारत हासिल करना भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं-जैसे चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजने, वहां से अनुसंधान के लिए नमूने लाने और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) का निर्माण एवं संचालन करने के लिए आवश्यक है।
इसरो के अनुसार, ‘स्पेडेक्स’ दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग कर अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ के लिए एक किफायती प्रौद्योगिकी मिशन है, जिसे पीएसएलवी के जरिये लॉन्च किया गया था।
भाषा सुरभि नरेश