हवाई अड्डों पर किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए: व्हीलचेयर और अन्य सुविधाओं की कमी पर उच्च न्यायालय
शुभम दिलीप
- 21 Apr 2025, 05:13 PM
- Updated: 05:13 PM
मुंबई, 21 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को देश के हवाई अड्डों पर वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए व्हीलचेयर सहित उचित सुविधाओं की कमी पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इन समस्याओं को रोकने के लिये कदम उठाए जाने चाहिये, क्योंकि यह मानव जीवन का मामला है।
न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति अद्वैत सेठना की खंडपीठ ने कहा कि व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं समय पर उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि यात्रियों की परेशानी को रोका जा सके।
अदालत ने कहा कि सभी सुविधाएं नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और एयरलाइन कंपनियों द्वारा स्वत: प्रदान की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भारत उदाहरण प्रस्तुत करे।
अदालत ने कहा, "हमें मानव जीवन की चिंता है। किसी को भी कष्ट नहीं होना चाहिए। हवाई अड्डा प्रबंधन प्राधिकरण और सभी एयरलाइन से संवेदनशीलता की आवश्यकता है। हमें इन मुद्दों के प्रति बहुत संवेदनशील होना होगा। हम चाहते हैं कि भारत में सभी एयरलाइन द्वारा उच्चतम अंतरराष्ट्रीय मानकों को लागू किया जाए।"
पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। एक याचिका एक वरिष्ठ नागरिक और उनकी बेटी की ओर से तथा दूसरी याचिका 53 वर्षीय व्यक्ति की ओर से दायर की गयी थी। इन याचिकाओं में मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर व्हीलचेयर और अन्य सुविधाओं की अनुपलब्धता का मुद्दा उठाया गया था।
डीजीसीए ने सोमवार को पीठ को सौंपे हलफनामे में कहा कि अधिक बुकिंग सहित कई कारणों से हवाई अड्डे पर व्हीलचेयर की कमी है।
हालांकि अदालत ने कहा कि वह इस तरह का बहाना स्वीकार नहीं कर सकती।
उच्च न्यायालय ने कहा कि इन समस्याओं को रोकने के लिये कदम उठाए जाने चाहिए। अदालत ने कहा कि एक व्यक्ति हवाई अड्डे पर स्वस्थ और तंदुरुस्त हालत में जा सकता है, लेकिन अचानक बीमार पड़ सकता है और उसे सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा कि यह मुद्दा हजारों यात्रियों से संबंधित है, जो पूरे देश में हर रोज इस समस्या का सामना करते हैं।
अदालत ने डीजीसीए को लापरवाही के लिए एयरलाइन कंपनियों पर भारी जुर्माना लगाने का सुझाव दिया।
अदालत ने कहा, ‘‘जब किसी यात्री की विमान के अंदर मृत्यु होती है या किसी अन्य मुद्दे का सामना करता है, तो यह एयरलाइन की तरफ से लापरवाही है। यह बुनियादी मानवाधिकार है।’
अदालत ने कहा कि विदेश में बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को बुनियादी अधिकारों से ऊपर समझा जाता है और सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है।
पीठ ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से यह हमारे देश में नहीं हो रहा है।’’
अदालत ने कहा कि ये सारी सुविधाएं डीजीसीए और विमानन कंपनियों द्वारा स्वत: प्रदान की जानी चाहिये और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि भारत मिसाल पेश करे।
पीठ ने कहा कि वह मुद्दों पर विचार करने, सभी हितधारकों के साथ बैठक करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का प्रस्ताव करती है, जिस पर डीजीसीए दिशा-निर्देशों के लिए विचार करेगा। अदालत मामले में मंगलवार को आदेश सुनाएगी।
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