राज के जरिये उद्धव को निशाना बनाने की भाजपा, शिवसेना की नीति से मराठी एकता को नुकसान : सामना
प्रशांत माधव
- 21 Apr 2025, 05:36 PM
- Updated: 05:36 PM
मुंबई, 21 अप्रैल (भाषा) भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने “राज ठाकरे के कंधे पर बंदूक रखकर” शिवसेना (उबाठा) पर हमले किए, लेकिन इस रणनीति से मनसे को कोई मदद नहीं मिली और इसके बजाय मराठी एकता को नुकसान पहुंचा। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने सोमवार को यह दावा किया।
शिवसेना (उबाठा) के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में यह भी कहा गया कि यदि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे भारतीय जनता पार्टी और एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना से दूर रहते हैं तो पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे के बीच “किसी मुद्दे” का कोई सवाल ही नहीं उठता।
उल्लेखनीय है कि मनसे ने 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के लिए बिना शर्त समर्थन की घोषणा की थी।
चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने संभावित सुलह की अटकलों को हवा दे दी है, क्योंकि उनके बयानों से संकेत मिलता है कि वे “मामूली मुद्दों” को नजरअंदाज कर सकते हैं और लगभग दो दशक के कटु मतभेद को भूलकर हाथ मिला सकते हैं।
मनसे प्रमुख ने कहा है कि ‘मराठी मानुष’ के हित में एकजुट होना मुश्किल नहीं है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां दरकिनार करने के लिए तैयार हैं, बशर्ते कि महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को महत्व नहीं दिया जाए।
‘सामना’ के संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच सुलह की संभावना ने ‘महाराष्ट्र विरोधियों’ को परेशान कर दिया है। इसमें आरोप लगाया गया कि भाजपा की साजिश मराठी एकता को कमजोर करने की थी।
सामना में कहा गया है कि भाजपा और शिंदे की अगुआई वाली शिवसेना ने राज के कंधों पर बंदूक रखकर शिवसेना (उबाठा) पर निशाना साधा। इससे मनसे को कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि मराठी एकता को नुकसान पहुंचा।
मराठी दैनिक ने दावा किया कि राज का रुख यह था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को महाराष्ट्र में पांव जमाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन वह इस पर कायम नहीं रहे।
संपादकीय में आरोप लगाया गया कि भाजपा का हिंदुत्व “नकली और खोखला” है और राज इसके जाल में फंस गए और इसमें डूबने लगे।
राज ठाकरे ने फिल्म निर्माता महेश मांजरेकर को दिए साक्षात्कार में कहा कि उन्हें अविभाजित शिवसेना में उद्धव के साथ काम करने में कोई समस्या नहीं थी। इस बयान के बाद सुलह की अटकलें शुरू हो गईं।
राज ठाकरे ने कहा कि सवाल यह है कि क्या उद्धव उनके साथ काम करना चाहते हैं।
संपादकीय में कहा गया कि राज ठाकरे द्वारा संदर्भित मुद्दे कभी सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए।
संपादकीय में कहा गया कि राज मराठी लोगों की बात करते रहे हैं और (बाल ठाकरे द्वारा स्थापित) शिवसेना का जन्म मराठी हित के लिए हुआ तथा उद्धव ठाकरे ने वह हित नहीं छोड़ा, तो कोई विवाद है कहां?
मराठी दैनिक ने कहा, “भाजपा और शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए इस पर बात करने का कोई कारण नहीं था। इन लोगों ने ही तथाकथित मुद्दों को शुरू किया। इसलिए भाजपा और शिंदे सेना को अगर दूर रखा जाए, तो कोई मुद्दा नहीं रहेगा।”
इसमें कहा गया है कि अगर पूरा जीवन झगड़ों और समस्याओं से निपटने में बीत गया तो महाराष्ट्र कभी माफ नहीं करेगा।
इस बीच, शिवसेना (उबाठा) सांसद संजय राउत ने कहा कि सफल गठबंधन का सूत्र यह है कि “अतीत में न झांका जाए”।
उन्होंने कहा, “जब उद्धव जी ने कहा है कि आगे बढ़ो, अतीत में जो हुआ उसे अनदेखा करो। हम कांग्रेस, राकांपा की आलोचना करते थे लेकिन फिर हमें 2019 में एक साथ आना पड़ा, हमने अपने अतीत में झांकने की बजाय भविष्य को देखने का फैसला किया। अच्छी राजनीति अतीत में झांकने से नहीं होती। हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे बात बिगड़े।”
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