मजूमदार ने दंगा प्रभावित शमशेरगंज का दौरा किया, मुख्यमंत्री पर क्षेत्र में नहीं आने का आरोप लगाया
रंजन नरेश
- 21 Apr 2025, 05:43 PM
- Updated: 05:43 PM
शमशेगंज(पश्चिम बंगाल), 21 अप्रैल (भाषा) भारतीय जनता पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने सोमवार को मुर्शिदाबाद जिले के हिंसा प्रभावित शमशेरगंज का दौरा किया, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत की और प्रभावित क्षेत्र का दौरा नहीं करने के लिए प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना की।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री मजूमदार ने पूछा, ‘‘10 दिन हो गए हैं, फिर भी मुख्यमंत्री नहीं आई हैं। अगर पीड़ित हिंदू समुदाय के नहीं होते तब भी क्या उनका रवैया ऐसा ही होता?’’
भाजपा नेता ने 11-12 अप्रैल की घटना के दौरान क्षतिग्रस्त या लूटे गए धार्मिक स्थलों का दौरा किया।
उन्होंने कहा, "धर्म के प्रति सच्चा सम्मान सभी धर्मों का सम्मान करने में निहित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जबकि मुख्यमंत्री 30 अप्रैल को दीघा में एक सजावटी ढांचे का अनावरण करने की योजना बना रही हैं, और यहां एक असली मंदिर का खंडहर खड़ा है और वह चुप हैं।’’
स्थानीय लोगों ने बताया कि कैसे उनकी दुकानें जला दी गईं और घर मलबे में तब्दील हो गए।
प्रभावित लोगों को केंद्र सरकार के समर्थन का आश्वासन देते हुए मजूमदार ने भीड़ से कहा, ‘‘डर को अपने ऊपर हावी न होने दें। डर केवल उन लोगों के हाथ मजबूत करता है जो आपको चुप कराना चाहते हैं।’’
उन्होंने कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में भी चिंता व्यक्त की और दावा किया कि स्थानीय पुलिस ने जनता का विश्वास खो दिया है।
भाजपा की लंबे समय से चली आ रही मांग को दोहराते हुए मजूमदार ने कहा कि क्षेत्र में एक स्थायी बीएसएफ शिविर के लिए केंद्र से संपर्क किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय इस पर गौर करेगा। यहां के लोगों को वास्तविक सुरक्षा की जरूरत है, न कि खोखले आश्वासनों की।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासक राज्य नेतृत्व के दबाव में काम कर रहे हैं।
उन्होंने दावा किया, ‘‘मुर्शिदाबाद और मालदा में जिला अधिकारियों को विस्थापित परिवारों को उनके जले हुए घरों में वापस भेजने का निर्देश दिया जा रहा है।’’
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जब मुख्यमंत्री इमामों से मिलती हैं, तो वह मुसलमानों से ज़मीन छीने जाने की बात करती हैं, लेकिन मुर्शिदाबाद में, किसको बेदखल किया गया है?’’
बनर्जी के नेतृत्व को ‘पूरी तरह से विफल’ बताते हुए मजूमदार ने कहा, ‘‘पूरे बंगाल में लोगों में शर्मिंदगी की भावना बढ़ रही है। वह यहां आकर लोगों का कुछ विश्वास बहाल कर सकती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’’
उन्होंने हिंसा के दौरान जाफ़राबाद में मारे गए हरगोबिंद दास और चंदन दास के शोक संतप्त परिवारों से भी मुलाकात की। हत्याओं की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण से जांच कराने की मांग करते हुए मजूमदार ने कहा कि परिवारों को स्वतंत्र, निष्पक्ष जांच के ज़रिए न्याय मिलना चाहिए।
नागरिक समाज के एक वर्ग पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘वे बुद्धिजीवी कहां हैं जो राष्ट्रीय टेलीविजन पर इतने खुलकर बोलते हैं। अब यह चुप्पी क्यों है?’’
कई शोक संतप्त परिवारों ने इलाके में बीएसएफ की मौजूदगी की मांग दोहराई।
एक महिला ने कहा, ‘‘हमें पुलिस कैंप नहीं चाहिए, हमें बीएसएफ की जरूरत है। केवल वे ही हमारी रक्षा कर सकते हैं।’’ इस दौरान कुछ अन्य महिलायें वहां खड़ी रो रही थीं।
मजूमदार ने प्रभावित घरों में बच्चों के साथ समय बिताया और उनके रूला देने वाले अनुभव सुने। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, ‘‘इन मासूम बच्चों ने ऐसा क्या गलत किया था कि उन्हें यह सब झेलना पड़ा?’’
केंद्रीय मंत्री का दौरा सीमावर्ती जिले में सांप्रदायिक तनाव और बढ़ते राजनीतिक टकराव की पृष्ठभूमि में हुआ है।
भाषा रंजन