नीतीश के अति पिछड़ा वोटबैंक पर कांग्रेस की नजर, ओबीसी विभाग ने शुरू किया ‘जाति नहीं, जमात’ अभियान
हक सुरेश
- 22 Apr 2025, 02:58 PM
- Updated: 02:58 PM
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) कांग्रेस के ओबीसी विभाग ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अति पिछड़ा समुदाय को अपनी ओर आकर्षिक करने के लिए ‘जाति नहीं, जमात’ अभियान की शुरुआत की है। विभाग उन्हें यह विश्वास दिलाने का प्रयास भी कर रहा है कि पार्टी टिकट में अब उनकी आबादी के अनुपात में हिस्सेदारी मिलेगी।
ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद का कहना है कि उनका संगठन इस अभियान के तहत अति पिछड़ी जातियों के बीच यह जागरुकता पैदा करने का प्रयास कर रहा है कि वे जाति नहीं, बल्कि जमात (वर्ग) के रूप में अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें।
जयहिंद ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि अति पिछड़ों को कांग्रेस के टिकट में उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिले।
बिहार के जातिगत सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में अति पिछड़ों की आबादी 36 प्रतिशत है और यह पिछले कई वर्षों से जनता दल (यूनाइटेड) का मजबूत वोट बैंक माना जाता है।
जयहिंद का दावा है कि अब नीतीश कुमार की पार्टी बिखर रही है और ऐसे में यह जरूरी है कि कांग्रेस इन जातियों का समर्थन फिर से हासिल करे, ताकि वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरफ न चले जाएं।
उन्होंने यह भी कहा, ‘‘आपको पता है कि अति पिछड़ा वर्ग किन्हीं कारणों से संभवत: राजद (राष्ट्रीय जनता दल) की तरफ नहीं जाएगा, लेकिन वे हमारी तरफ आ रहे हैं...इससे ‘इंडिया’ गठबंधन मजबूत होगा।’’
जयहिंद ने यह भी कहा, ‘‘अति पिछड़ों को टिकट देने में पार्टियों की कुछ व्यावहारिक दिक्कतें रही हैं। मान लीजिए किसी अति पिछड़ी जाति की आबादी तीन प्रतिशत है, फिर भी जरूरी नहीं है कि कई क्षेत्रों में उनकी आबादी 30-35 प्रतिशत हो। ऐसे में उस जाति के उम्मीदवार को टिकट देने से लोग हिचकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम इस चलन को तोड़ना चाहते हैं। हमारा यह कहना है कि अति पिछड़ी जातियों को जाति नहीं, बल्कि जमात बनकर वोट करना है। मान लीजिए कि नोनिया जाति के किसी व्यक्ति को टिकट मिले तो दूसरी अति पिछड़ी जातियों को लगना चाहिए कि यह उनके वर्ग का व्यक्ति है।’’
जयहिंद के अनुसार, ‘‘हमारी इस मुहिम का असर हो रहा है और ऐसे में पार्टी के टिकटों में अति पिछड़ों को उनकी आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी मिल सकेगी।’’
वैसे, राहुल गांधी पिछले तीन महीनों के भीतर तीन बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। उनके दौरे के मुख्य केंद्रबिंदु भी संविधान, अनुसूचित जाति, पिछड़े, अति पिछड़े रहे हैं।
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले दलित नेता राजेश कुमार को बिहार प्रदेश की कमान भी सौंपी है।
जयहिंद ने कहा, ‘‘राहुल गांधी जी जिस बुलंद आवाज से ओबीसी के मुद्दे उठा रहे हैं, उतनी बुलंदी से कोई दूसरा नेता नहीं उठा रहा है। राहुल जी के कारण ओबीसी अब कांग्रेस से जुड़ रहा है।’’
बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव संभावित है।
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