भाजपा ने कर्नाटक की मूल जातीय जनगणना रिपोर्ट गायब होने का आरोप लगाया
अमित पवनेश
- 22 Apr 2025, 07:25 PM
- Updated: 07:25 PM
बेंगलुरु/मांड्या, 22 अप्रैल (भाषा) कर्नाटक में विपक्षी भाजपा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई मूल जातीय जनगणना रिपोर्ट गायब है। साथ ही पार्टी ने यह दावा भी किया कि रिपोर्ट फिलहाल मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के पास है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ विधायकों ने मूल सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कथित खामियों पर चिंता जतायी जिसे जातीय जनगणना रिपोर्ट भी कहा जाता है।
कर्नाटक राज्य पिछड़ा आयोग (केएसबीसी) के पूर्व अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े द्वारा सरकार को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए, जिसमें कहा गया था कि जातीय जनगणना रिपोर्ट की मूल प्रति उपलब्ध नहीं है,
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक ने कर्नाटक राज्य पिछड़ा आयोग (केएसबीसी) के पूर्व अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े द्वारा सरकार को लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए आरोप लगाया है कि पूरी रिपोर्ट "फर्जी" है और इसकी न्यायिक जांच की मांग की।
हेगडे ने पत्र में जातीय जनगणना रिपोर्ट की मूल प्रति उपलब्ध नहीं होने का उल्लेख किया था।
अशोक ने आरोप लगाया कि मूल रिपोर्ट मुख्यमंत्री के पास है और 5 अक्टूबर, 2021 को हेगड़े द्वारा पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रधान सचिव को लिखे गए कथित पत्र का हवाला दिया।
पत्र में हेगड़े ने कहा कि सामाजिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण-2015 में एकत्रित आंकड़े एवं अन्य विवरण वाले सीलबंद बक्से, जो आयोग के कार्यालय में रखे गए थे, 26 अगस्त, 2021 को आयोग के अध्यक्ष, सदस्यों एवं सदस्य सचिव की उपस्थिति में खोले गए।
पत्र में कहा गया है, ‘‘आयोग ने पाया कि मुद्रित मुख्य रिपोर्ट में सदस्य सचिव के हस्ताक्षर मौजूद नहीं हैं। इसके साथ ही, चूंकि इससे संबंधित मुख्य रिपोर्ट की मूल प्रति या पांडुलिपि सीलबंद बॉक्स में उपलब्ध नहीं है, इसलिए संबंधित अधिकारी को उक्त पांडुलिपि तत्काल आयोग के कार्यालय में जमा कराने का निर्देश दिया गया।’’
सिद्धरमैया ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा, ‘‘अशोक ने कब सच बोला? वह हमेशा झूठ ही बोलते हैं। मूल रिपोर्ट मेरे पास कैसे हो सकती है?’’
मंगलवार को मांड्या के दौरे के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि यदि मंत्रियों को आपत्ति है तो उन्हें अपनी बात रखनी चाहिए।
सिद्धरमैया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने पहले ही कहा है कि यदि कोई कमी है तो हम उसे सुधारेंगे। लोगों ने (जातीय जनगणना पर) अपनी राय नहीं दी है। हमने उनसे (मंत्री से) उनकी राय मांगी है। एक बार जब हमें उनकी राय मिल जाएगी, तो हम इसे कैबिनेट के सामने पेश करेंगे और फैसला लेंगे।’’
वर्तमान जनगणना और 1981 में की गई जनगणना के बीच अंतर की ओर ध्यान दिलाये जाने पर सिद्धरमैया ने कहा कि सर्वेक्षण के बाद लोगों को पता चल जाएगा कि जनसंख्या बढ़ी है या घटी है।
उन्होंने रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने के लिए भाजपा पर भी कटाक्ष किया और कहा, ‘‘जयप्रकाश हेगड़े कौन हैं? राज्य में पिछली भाजपा सरकार ने उन्हें नियुक्त किया था। यह उनके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट है। सर्वेक्षण पर टिप्पणी करने का उन्हें (भाजपा को) क्या नैतिक अधिकार है? यह उनके (भाजपा) द्वारा नियुक्त व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रिपोर्ट केएसबीसी के पिछले अध्यक्ष एच कंथराज द्वारा तैयार किए गए आंकड़े के आधार पर तैयार की गई थी।
जातीय जनगणना रिपोर्ट 11 अप्रैल को कैबिनेट के समक्ष पेश की गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ने 17 अप्रैल को एक विशेष कैबिनेट बैठक बुलाई, जिसमें एक बार फिर निर्णय लिया गया कि 2 मई को होने वाली अगली कैबिनेट बैठक में इस पर विचार किया जाएगा।
राज्य सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े के प्रबंधन के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ 43 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
विभिन्न समुदाय इस रिपोर्ट के खिलाफ़ आवाज उठा रहे हैं, उनका दावा है कि उनकी आबादी का सही तरीके से सर्वेक्षण नहीं किया गया है और उनकी संख्या मौजूदा संख्या की तुलना में बहुत कम है।
वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय इस रिपोर्ट के खिलाफ़ काफ़ी मुखर रहे हैं।
कर्नाटक राज्य वोक्कालिगा संघ अध्यक्ष केंचप्पा गौड़ा ने जातीय जनगणना को अपनाये जाने पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करने की धमकी दी।
गौड़ा ने रिपोर्ट को "त्रुटिपूर्ण" बताया और कहा कि सर्वेक्षण के तहत वोक्कालिगा परिवारों के दरवाजे पर कोई नहीं आया। इसी तरह के विचार को दोहराते हुए, विभिन्न लिंगायत नेताओं ने आरोप लगाया है कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में उनकी आबादी को ठीक से नहीं दर्शाया गया है।
भाषा
अमित