धनखड़ के बयान पर विपक्ष ने कहा: संसद और कार्यपालिका नहीं, संविधान सर्वोच्च
हक सुरेश
- 22 Apr 2025, 08:10 PM
- Updated: 08:10 PM
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) विपक्षी नेताओं ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के न्यायपालिका संबंधी ताजा बयान को लेकर मंगलवार को उनकी आलोचना की और कहा कि देश में संसद एवं कार्यपालिका नहीं, बल्कि संविधान सर्वोच्च है।
धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक प्राधिकारी द्वारा बोला गया प्रत्येक शब्द सर्वोच्च राष्ट्रहित से प्रेरित होता है।
उन्होंने हाल में उच्चतम न्यायालय के आदेश को लेकर की गई अपनी टिप्पणी पर सवाल उठाने वाले आलोचकों पर निशाना साधा।
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने धनखड़ के बयान को लेकर कहा कि उच्चतम न्यायालय ने जो कुछ भी कहा है वह देश के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है और राष्ट्रीय हित से प्रेरित है।
सिब्बल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय: संसद के पास कानून पारित करने का पूर्ण अधिकार है, उच्चतम न्यायालय का दायित्व है कि वह संविधान की व्याख्या करे और पूर्ण न्याय करे (अनुच्छेद 142)।’’
उन्होंने कहा, ‘‘न्यायालय ने जो कुछ भी कहा है वह हमारे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप है, राष्ट्रीय हित से प्रेरित है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि कानून के हिसाब से न संसद न कार्यपालिका सर्वोच्च है, बल्कि संविधान सर्वोच्च है तथा संविधान के प्रावधानों की व्याख्या उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाती है।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी धनखड़ की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अगर गलत कानून बनाया गया और संवैधानिक अनुच्छेदों का दुरुपयोग किया गया तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करेगी।
ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह उनकी सीमित समझ है। संसद निश्चित रूप से सर्वोच्च और स्वतंत्र है। न्यायपालिका और कार्यपालिका भी स्वतंत्र हैं। यही कारण है कि शक्ति संतुलन हमारे संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है... यदि आप गलत कानून बनाते हैं, यदि आप संवैधानिक अनुच्छेदों का दुरुपयोग करते हैं, तो न्यायपालिका हस्तक्षेप करेगी।’’
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता एवं राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा, ‘‘उपराष्ट्रपति एक सम्मानित संवैधानिक प्राधिकारी हैं, लेकिन मैं उनसे संविधान सभा की बहसों पर फिर से विचार करने का आग्रह करूंगा, जहां न्यायपालिका और विधायिका के बीच संतुलन के महत्व पर चर्चा की गई थी... संविधान हमारा अंतिम मार्गदर्शक है।’’
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि संविधान में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में न्यायपालिका का काम न्यायिक समीक्षा करना है। हां, संसद कानून बनाती है, लेकिन भारत का उच्चतम न्यायालय उन कानूनों की समीक्षा करने के लिए सर्वोच्च प्राधिकारी है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे कानून संविधान के मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं।’’
सुप्रिया ने सवाल किया, ‘‘क्या न्यायपालिका को बंद कर देना चाहिए? क्या न्यायिक समीक्षा गलत है? तो उपराष्ट्रपति किस बारे में बात कर रहे हैं?’’
उनका कहना था कि उपराष्ट्रपति को इस बारे में बात करनी चाहिए कि कैसे देश भर के राज्यपाल भाजपा की कठपुतली बन गए हैं।
कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि उपराष्ट्रपति धनखड़ के लिए व्यक्ति विशेष सबसे ऊपर हो सकता है, लेकिन संविधान सर्वोच्च है।
उन्होंने कहा, ‘‘संसद या कार्यपालिका की आड़ में लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर एक व्यक्ति विशेष को सर्वशक्तिमान बनाने की जो मुहिम चलाई जा रही है इसे देश माफ नहीं करेगा।’’
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