ईडी ने भंडारी के भारत प्रत्यर्पण से इनकार संबंधी ब्रिटिश न्यायाधीश के आदेश की अदालत को जानकारी दी
सुभाष पवनेश
- 22 Apr 2025, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
नयी दिल्ली, 22 अप्रैल (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हथियार डीलर संजय भंडारी को भारत प्रत्यर्पित करने से इनकार करने संबंधी एक ब्रिटिश अदालत के आदेश के खिलाफ अपनी अपील खारिज हो जाने के बारे में दिल्ली की एक अदालत को मंगलवार को जानकारी दी।
ईडी ने भंडारी और अन्य के खिलाफ धन शोधन मामले की सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश नीलोफर आबिदा परवीन के समक्ष यह दलील दी।
संघीय जांच एजेंसी ने न्यायाधीश को बताया कि भंडारी को ‘‘भगोड़ा’’ घोषित करने की मांग करने संबंधी उसकी अर्जी वर्तमान में दिल्ली की एक अन्य अदालत में लंबित है, जो तीन मई को मामले की सुनवाई करेगी।
न्यायाधीश ने ईडी के विशेष सरकारी वकील नवीन कुमार मट्टा द्वारा दी गई दलील का उल्लेख किया और मामले की अगली सुनवाई 26 मई के लिए निर्धारित कर दी।
भंडारी के वकील ने 19 अप्रैल को अदालत में ईडी की उस याचिका का विरोध किया था जिसमें उसे ‘‘भगोड़ा’’ घोषित करने का अनुरोध किया गया था। भंडारी के वकील ने कहा था कि ब्रिटेन में उसका रहना कानूनन है क्योंकि लंदन उच्च न्यायालय ने उसे भारत प्रत्यर्पित करने से मना कर दिया है।
भंडारी के मामले में लंदन उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए इंग्लैंड की एक अदालत ने 11 अप्रैल को, करोड़ों रुपये के चावल खरीद से जुड़े कथित घोटाले में एक अन्य आरोपी को प्रत्यर्पित करने के भारत सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
रिपोर्टों के अनुसार, हाल ही में बेल्जियम में गिरफ्तार किए गये भगोड़े भारतीय हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी ने अपने प्रत्यर्पण का विरोध करने के लिए लंदन की अदालत के आदेश का हवाला दिया है। उसे 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी के सिलसिले में भारत में मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित कराया जाना है।
भंडारी का नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाद्रा के खिलाफ धन शोधन मामले में ईडी की जारी जांच में भी सामने आया है।
इस महीने की शुरुआत में, ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने भारत सरकार द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। भारत ने इसके आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने का आग्रह किया था।
लंदन स्थित उच्च न्यायालय ने भंडारी की अपील को मानवाधिकारों के आधार पर स्वीकार किया था।
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