फडणवीस ने स्टालिन से सवाल: आप बहुभाषावाद के लिए तैयार क्यों नहीं हैं, पहले एनईपी को समझें
अमित माधव
- 22 Apr 2025, 09:11 PM
- Updated: 09:11 PM
मुंबई, 22 अप्रैल (भाषा) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने मंगलवार को तमिलनाडु के अपने समकक्ष एम. के. स्टालिन पर पलटवार करते हुए उनसे सवाल किया कि वह ‘‘बहुभाषावाद के प्रति खुले क्यों नहीं हैं’’ और यदि कोई हिंदी में पढ़ना चाहता है तो उन्हें समस्या क्यों है।
फडणवीस ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में किसी भाषा के चयन पर जोर नहीं दिया गया या बाध्यता नहीं की गई है तथा इसमें केवल अंग्रेजी के अलावा कोई दो भारतीय भाषाएं पढ़ने को कहा गया है। उन्होंने स्टालिन से कहा कि पहले वे यह जान लें कि एनईपी वास्तव में है क्या।
फडणवीस का यह बयान ऐसे समय आया है जब स्टालिन ने एक दिन पहले पूछा था कि क्या केंद्र सरकार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस रुख का समर्थन करती है कि एनईपी के तहत राज्य में मराठी के अलावा कोई अन्य भाषा तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य नहीं है।
सोलह अप्रैल को महाराष्ट्र सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग ने एक सरकारी संकल्प (जीआर) जारी किया था, जिसके तहत राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया गया था। हालांकि, मंगलवार को सरकार ने विभिन्न हलकों से इस कदम के विरोध के मद्देनजर इस आदेश पर रोक लगा दी।
स्टालिन ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने पर भारी आलोचना का सामना करने के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अब दावा किया है कि राज्य में केवल मराठी भाषा अनिवार्य है।
स्टालिन ने कहा कि यह गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के खिलाफ व्यापक निंदा के बाद उनकी घबराहट को साफ तौर पर दिखाता है।
स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या केंद्र सरकार आधिकारिक तौर पर फडणवीस के इस रुख का समर्थन करती है कि एनईपी के तहत तीसरी भाषा के रूप में महाराष्ट्र में मराठी के अलावा कोई अन्य भाषा अनिवार्य नहीं है।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘यदि ऐसा है, तो क्या केंद्र सरकार सभी राज्यों को स्पष्ट निर्देश जारी करेगी कि एनईपी में तीसरी भाषा को अनिवार्य रूप पढ़ाने की आवश्यकता नहीं है?’’
स्टालिन के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए फडणवीस ने कहा, ‘‘श्रीमान स्टालिन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से स्पष्टीकरण मांगने से पहले आपको राष्ट्रीय शिक्षा नीति की गहरी समझ होनी चाहिए। सबसे पहले आपको यह अध्ययन करने की आवश्यकता है कि एनईपी वास्तव में है क्या।’’
उन्होंने केंद्र सरकार की वेबसाइट का एक लिंक भी पोस्ट किया जो एनईपी के बारे में जानकारी देता है।
फडणवीस ने कहा, ‘‘एनईपी ने कभी भी भाषा के चयन पर जोर नहीं दिया या बाध्यता नहीं की, बल्कि केवल 3 में से अंग्रेजी के अलावा किसी भी 2 भारतीय भाषाओं का अध्ययन करने के लिए कहा है।’’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, ‘‘जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है, हम हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, संस्कृत या छात्रों की पसंद की किसी भी भाषा के लिए खुले हैं, जिसे वे तीसरी भाषा के रूप में पढ़ना चाहते हैं। मुख्य सवाल यह है कि आप बहुभाषावाद के लिए खुले क्यों नहीं हैं और अगर कोई हिंदी में पढ़ना चाहता है तो आपको समस्या क्यों है?’’
हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को कुछ विपक्षी दलों सहित विभिन्न हलकों से कड़ा विरोध का सामना करना पड़ा है।
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अमित