गुजरात उच्च न्यायालय ने झील के निकट ‘अतिक्रमण’ हटाने पर रोक लगाने से इनकार किया
जोहेब रंजन
- 29 Apr 2025, 08:43 PM
- Updated: 08:43 PM
अहमदाबाद, 29 अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने अहमदाबाद के चंदोला झील क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे मकान ढहाने के अभियान पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। क्षेत्र में अवैध बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया गया था।
चंदोला झील के 18 निवासियों के एक समूह ने राज्य सरकार द्वारा बिना किसी नोटिस के अतिक्रमण हटाने के अभियान को "अनुचित, अवैध व मनमाना" बताते हुए चुनौती दी थी।
अहमदाबाद में नगर निगम अधिकारियों और पुलिस ने मंगलवार को अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया।
याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद याज्ञनिक ने बताया कि न्यायमूर्ति मौना भट्ट ने यह देखते हुए ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया कि याचिकाकर्ताओं के आवास जल निकाय के किनारे पर हैं और भूमि राजस्व संहिता की धारा 37 के अनुसार, ऐसी संरचनाओं को सरकार गिरा सकती है।
अदालत ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता "अवैध अतिक्रमणकारी" हैं, इसलिए उन्हें ध्वस्तीकरण से राहत नहीं दी जा सकती।
साथ ही, अदालत ने कहा कि यदि कोई याचिकाकर्ता सरकार की 2010 और 2013 की पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन नीतियों के अंतर्गत आता है, तो वे अहमदाबाद नगर निगम को विचार के लिए एक अभ्यावेदन दे सकते हैं।
चंदोला झील के निवासियों ने इस आधार पर "अवैध ध्वस्तीकरण" पर रोक लगाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि उन्हें बेदखली और ध्वस्तीकरण के लिए कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि वे पिछले छह दशकों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं, तथा 1970 के दशक में उत्तर प्रदेश, बिहार व पश्चिम बंगाल से अहमदाबाद आकर बसे थे।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि उनके पास राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज हैं तथा बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में उनके परिवार के सदस्यों को हिरासत में लेना अवैध है।
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में दावा किया कि उन्हें तोड़फोड़ अभियान शुरू करने के बारे में कोई नोटिस नहीं दिया गया, बल्कि केवल मौखिक रूप से सूचित किया गया।
उन्होंने कहा कि उन्हें वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराए बिना ऐसी कार्रवाई करना कानून के विरुद्ध है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि इस अभियान को अंजाम देने के लिए, याचिकाकर्ताओं की राष्ट्रीयता के बारे में एक "झूठी व कपटपूर्ण कहानी" बनाई गई कि वे बांग्लादेशी हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए उनके परिवार के कुछ सदस्यों को हिरासत में लिया गया था।
सरकारी वकील जीएच विर्क ने दलील दी कि सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों को प्रक्रियात्मक गतिविधियों के अधीन नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह अभियान राज्य के लोगों की सुरक्षा व राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए चलाया जा रहा है, इसलिए इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से प्रभावित नहीं किया जा सकता।
सरकारी वकील ने कहा कि ध्वस्तीकरण का कार्य शांतिपूर्ण ढंग से किया जा रहा है तथा अधिकांश संरचनाएं पहले ही खाली कर दी गई हैं।
अदालत में दायर राज्य सरकार के हलफनामे के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में चंदोला झील के आसपास का क्षेत्र अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया है, जिसमें देह व्यापार और मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर दस्तावेजों की जालसाजी और यहां तक कि चरमपंथी तत्वों को शरण देना भी शामिल है।
राज्य ने झील क्षेत्र से अल-कायदा मॉड्यूल से संदिग्ध संबंध रखने वाले चार बांग्लादेशी नागरिकों की हाल ही में हुई गिरफ्तारी को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया।
हलफनामे में कहा गया है, "अधिसूचित जल निकाय चंदोला झील के अंदर किसी भी निर्माण के लिए कभी भी कोई कानूनी अनुमति नहीं दी गई।"
भाषा जोहेब