दक्षिण एशियाई और विश्व भारत-पाक के बीच टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकता: संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता
जोहेब सुरेश
- 29 Apr 2025, 11:53 PM
- Updated: 11:53 PM
संयुक्त राष्ट्र, 29 अप्रैल (भाषा) संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र और दुनिया भारत तथा पाकिस्तान के बीच टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती और यह दोनों देशों व दुनिया के लिए विनाशकारी होगा।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने मंगलवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से टेलीफोन पर बात की।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच यह बातचीत हुई है।
महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि गुतारेस ने जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और "कानूनी तरीकों से इन हमलों के लिए न्याय व जवाबदेही का पालन करने के महत्व पर ध्यान दिया।”
गुतारेस ने “भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और ऐसे टकराव से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके दुखद परिणाम हो सकते हैं।
‘पीटीआई’ के एक सवाल के जवाब में दुजारिक ने कहा कि महासचिव “आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं, चाहे वह कहीं भी और कभी भी हो।”
उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वह इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं। वह चाहते हैं कि दोनों पक्ष तनाव कम करने की दिशा में आगे बढ़ें। मेरा मतलब है, क्षेत्र और दुनिया भारत तथा पाकिस्तान के बीच टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती, यह दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी होगा।”
पहलगाम में हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) को निलंबित कर दिया है और पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर दिया है।
केंद्र ने पहलगाम हमले के तार सीमा पार से जुड़े होने के मद्देनजर पाकिस्तानी सैन्य सलाहकार (अताशे) को निष्कासित करने, 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा को तत्काल बंद करने सहित कई कदमों की गत बुधवार को घोषणा की थी।
भारत ने अटारी सीमा के माध्यम से देश में प्रवेश करने वाले सभी पाकिस्तानियों से एक मई तक देश छोड़ने को कहा है।
इसके जवाब में पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को सभी भारतीय विमानन कंपनियों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद करने का फैसला किया तथा भारत के साथ व्यापार को स्थगित कर दिया।
सोमवार को जारी बयान में कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजीआईपी) की ‘‘उस क्षेत्र में कोई उपस्थिति नहीं है जहां हमला हुआ और वह नियंत्रण रेखा पर 1971 के युद्धविराम समझौते के सख्ती से पालन और उससे संबंधित घटनाक्रम पर नजर रखने के अपने कार्यक्षेत्र के तहत काम कर रहा है।’’
यूएनएमओजीआईपी की स्थापना जनवरी 1949 में हुई थी। भारत एवं पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए युद्ध और उसके बाद उसी वर्ष 17 दिसंबर को हुए युद्ध विराम समझौते के बाद यूएनएमओजीआईपी को इस समझौते के सख्ती से पालन से संबंधित घटनाक्रम पर यथासंभव नजर रखने और महासचिव को इसकी जानकारी देने का काम सौंपा गया था।
भारत का कहना है कि यूएनएमओजीआईपी की उपयोगिता समाप्त हो चुकी है तथा शिमला समझौते एवं उसके फलस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निर्धारण के बाद यह अप्रासंगिक हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले के पीड़ितों के परिवारों के साथ अपनी एकजुटता पुन: व्यक्त की और ‘‘जवाबदेही तथा न्याय के महत्व को रेखांकित किया।’’
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जम्मू कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की पिछले सप्ताह ‘‘कड़े शब्दों में निंदा’’ की थी और इस बात पर जोर दिया था कि इन हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए एवं इस ‘‘निंदनीय आतंकवादी कृत्य’’ के आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
भाषा जोहेब