जोर लगाकर ब्रश करने से लेकर ‘क्लियर एलाइनर’ तक, जानिए आपके मसूड़ों के नीचे खिसकने का कारण
(द कन्वरसेशन) संतोष रंजन
- 04 May 2025, 04:40 PM
- Updated: 04:40 PM
(फ्लेवियो पिसानी, सेंट्रल लंकाशायर विश्वविद्यालय)
प्रेस्टन, चार मई (द कन्वरसेशन) दंत चिकित्सक के पास पहुंचने वाले मरीजों की सबसे आम चिंताओं में से एक है मसूड़ों का नीचे खिसकना। अक्सर मरीजों की तात्कालिक धारणा यह होती है कि, ‘‘मुझे शायद मसूड़े की बीमारी है।’’
हालांकि यह सच हो सकता है, लेकिन मसूड़ों का नीचे जाना हमेशा बीमारी का स्पष्ट संकेत नहीं होता है। वास्तव में बहुत से लोगों को तब तक कोई समस्या नजर नहीं आती जब तक कि उन्हें ठंडे, गर्म या मीठे खाद्य पदार्थों के प्रति दांतों की संवेदनशीलता का अनुभव नहीं होता या उन्हें तब तक समस्या नजर नहीं आती जबतक उन्हें अपनी मुस्कान में बदलाव, दांतों की सतह का अधिक दिखना या दांतों के बीच छोटे-छोटे अंतराल ना दिखाई देने लगें।
दंत चिकित्सक अक्सर इस चिंता का त्वरित समाधान करके इसका समाधान करते हैं जिसमें मसूड़ों की रेखा के पास सफेद ‘कंपोजिट फिलिंग’ करना शामिल है।
हालांकि, यह अल्पावधि में संवेदनशीलता को कम करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह मसूड़ों के पीछे हटने में योगदान देकर समय के साथ समस्या को और भी बदतर बना सकता है।
मसूड़ों की बीमारी - जिसे पीरियोडोंटाइटिस के रूप में भी जाना जाता है - एक गंभीर स्थिति है। ब्रश करते समय खून बहना, दांतों का हिलना, लगातार बदबूदार सांस आना या दांतों का हिलना जैसे लक्षणों की हमेशा जांच की जानी चाहिए। हालांकि, मसूड़ों के नीचे की ओर जाने के अन्य कारण भी हो सकते हैं।
शायद चौंकाने वाली बात यह है कि मसूड़ों के नीचे खिसकने का सबसे बड़ा कारण वास्तव में जरूरत से ज्यादा ब्रश करना है। बहुत ज्यादा बल का उपयोग करना या गलत उपकरणों से ब्रश करना (जैसे कि कठोर ब्रिसल वाला ब्रश) धीरे-धीरे मसूड़ों के ऊतकों को खराब कर सकता है।
इलेक्ट्रिक दंतब्रश दबाव को कम करके मदद कर सकते हैं, खासकर नए मॉडल जो बहुत जोर से ब्रश करने पर रोशनी करते हैं। लेकिन वास्तव में बहुत से लोग इस बात पर ज्यादा ध्यान देते हैं कि वे कितनी देर तक ब्रश करते हैं, न कि कैसे ब्रश करते हैं।
यहां तक कि दंत साफ करने वाले इन ब्रश के साथ जोड़े जाने वाले स्मार्ट ऐप भी आमतौर पर प्रत्येक क्षेत्र में ब्रश करने के समय को उजागर करते हैं, न कि लगाए गए दबाव को।
इसीलिए ब्रश करने की सही तकनीक सिखाना बहुत जरूरी है। सबसे अच्छी विधि मरीज के अलग-अलग दांत और मसूड़े की संरचना के आधार पर अलग-अलग होगी और इसका उद्देश्य हमेशा हल्का और लगातार दबाव का उपयोग करके ‘प्लाक’(दांत पर जमी गंदी परत) को प्रभावी ढंग से हटाना होना चाहिए।
अगर कोई व्यक्ति हाथ से ठीक तरह से ब्रश कर रहा है और उसकी तकनीक अच्छी है, तो उसे दांत साफ करने के लिए इलेक्ट्रिक ब्रश को अपनाने की कोई ज़रूरत नहीं है।
मसूड़ों के नीचे खिसकने का एक और बढ़ता कारण है दंत संबंधी ‘स्ट्रेटनिंग क्लियर एलाइनर‘ का इस्तेमाल। यद्यपि एलाइनर दांतों को जल्दी से संरेखित करने के लिए प्रभावी होते हैं, लेकिन उन्हें अक्सर ‘फिक्स रिटेनर’ (दांतों को जगह पर रखने के लिए दांतों के पीछे बंधे तार) के साथ जोड़ा जाता है। समय के साथ यह जड़ों को जबड़े के प्राकृतिक हड्डी के आवरण से बाहर निकलने का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मसूड़ों के ऊतक दांतों से पीछे खिसक जाते हैं।
समाधान
अच्छी खबर यह है कि समाधान मौजूद हैं। हर मामला अलग होता है, लेकिन सही जानकारी और तकनीकों के साथ दंत चिकित्सक रोगियों को मसूड़ों के स्वास्थ्य और दिखावट दोनों को बहाल करने में मदद कर सकते हैं।
ऐसे मामलों में जहां मसूड़े के ऊतक काफी पीछे खिसक गए हैं, रोगी की जरूरतों और लक्ष्यों के आधार पर शल्य चिकित्सा से जुड़े कई विकल्प हैं।
कार्यात्मक समस्या को दूर करने के लिए ‘फ्री जिंजिवल ग्राफ्ट’ नामक तकनीक का आमतौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसमें ऊतक की एक पतली परत को प्रत्यारोपित करना शामिल है जिसे आमतौर पर मुंह की छत (तालु) से लिया जाता है। इस परत से दांतों के आधार के चारों ओर सख्त और गुलाबी मसूड़े की एक पट्टी बनाई जाती है।
इससे रोगियों को मसूड़े के नरम ऊतकों से छेड़छाड़ किए बिना आराम से ब्रश करने में मदद मिलती है। यह प्रक्रिया मसूड़ों के पीछे खिसकने को थोड़ा कम कर सकती है, लेकिन इसका मुख्य लक्ष्य स्थायित्व प्रदान करना और आराम प्रदान करना है, न कि सौंदर्यबोध में बढ़ोतरी करना। ग्राफ्ट अक्सर रंग और बनावट के लिहाज से स्पष्ट रूप से अलग होता है।
सौंदर्य संबंधी चिंताओं के लिए अधिक उन्नत ‘प्लास्टिक सर्जरी’ की तकनीकें उपलब्ध हैं। एक लोकप्रिय विधि में स्थानीय मसूड़े के ऊतक को सावधानीपूर्वक उठाना, उसके नीचे एक ऊतक ग्राफ्ट डालना (जिसे आमतौर पर तालु से लिया जाता है), और इसे जगह पर सिलना शामिल है। यह ‘सैंडविच’ दृष्टिकोण मसूड़ों को मोटा करता है और उन्हें एक स्वस्थ रूप देता है।
ग्राफ्ट मौजूदा मसूड़े के ऊतकों को फिर से विकसित करने के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है, जिससे आकार और कार्य दोनों में सुधार होता है।
ये प्रक्रियाएं सुरक्षित, प्रभावी और न्यूनतम चीरफाड़ वाली है। इन्हें आमतौर पर दंत चिकित्सा पद्धति में स्थानीय एनेस्थेटिक के तहत किया जाता है और दर्द निवारक दवा के साथ केवल कुछ दिनों में व्यक्ति ठीक हो जाता है।
दीर्घकालिक अध्ययनों से पता चलता है कि ये तकनीकें विश्वसनीय हैं, इनकी सफलता दर 93 फीसदी तक है तथा सर्जरी के पांच वर्ष बाद भी रोग की पुनरावृत्ति की आशंका न्यूनतम रहती है।
(द कन्वरसेशन) संतोष